Controversy on The Kerala Story: उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को विवादास्पद फिल्म 'The Kerala Story' की रिलीज पर रोक लगाने के लाल्लुक से याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर केंद्र सरकार तथा अन्य पक्षों को थिएटर, ओटीटी प्लेटफॉर्म और अन्य मीडिया में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने के लिए आदेश देने का अनुरोध किया था. साथ ही उसने कहा था कि इंटरनेट से फिल्म का ट्रेलर भी हटाया जाना चाहिए.


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सुप्रीम कोर्ट ने दिया तर्क


भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह आर्टिकल 32 के तहत उठाये गए सभी मुद्दों को सुनवाई के लिए स्वीकार कर सुप्रीम कोर्ट को सुपर आर्टिकल 226 कोर्ट बनने की इजाजत नहीं दे सकती. आर्टिकल 226 उच्च न्यायालयों को यह अधिकार देता है कि वह सरकारी अधिकारियों को निर्देश या रिट जारी कर सके.


5 मई से पहले नहीं हो रही सुनवाई


अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने अदालत के समक्ष मुस्लिम संगठन की याचिका का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि केरल उच्च न्यायालय फिल्म की 5 मई को होने वाली रिलीज से पहले मामले की सुनवाई नहीं कर रहा है. उन्होंने कहा कि फिल्म के निर्माता समाज को बहका रहे हैं. वे इसकी मार्केटिंग इस तरह से कर रहे हैं जैसे यह सच्चाई हो. उन्होंने डिस्क्लेमर भी नहीं दिया है कि यह काल्पनिक कहानी है.


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केरल हाई कोर्ट में हो सुनवाई


वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत को बताया कि केरल हाईकोर्ट पहले ही मामले की सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. इसके बाद मुख्य न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता से केरल हाईकोर्ट जाने के लिए कहा जो पहले से इससे जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहा है क्योंकि केरल उच्च न्यायालय के जज वहां की स्थानीय परिस्थितियों से भी वाकिफ हैं.


4 मई को हो सुनवाई


मुस्लिम संगठन के अधिवक्ता ने अदालत से अनुरोध किया कि वह फिल्म के रिलीज के मुद्दे पर केरल हाईकोर्ट को 4 मई को सुनवाई करने का निर्देश दे. फिल्म 5 मई को रिलीज होने वाली है. तर्को को सुनने के बाद शीर्ष अदालत ने कहा कि आर्टिकल 32 के तहत राहत के लिए उच्च न्यायालय में गुहार लगाई जा सकती है और हम इस आधार पर इस पर सुनवाई नहीं करेंगे. हम याचिकाकर्ता को केरल हाईकोर्ट में जाने की स्वतंत्रता देते हैं. हाईकोर्ट इस पर जल्द सुनवाई कर सकता है.


याचिका में क्या है?
 
मुस्लिम संगठन ने अपनी याचिका में कहा, इस फिल्म का उद्देश्य स्पष्ट तौर पर घृणा और समाज के विभिन्न वर्गो के बीच दुश्मनी फैलाना है. फिल्म में यह संदेश दिया गया है कि गैर-मुस्लिम लड़कियों को उनके सहपाठी बहला-फुसलाकर इस्लाम स्वीकार कराते हैं और इसके बाद उन्हें पश्चिम एशिया के देशों में भेज दिया जाता है जहां उन्हें जबरन आतंकवादी समूहों में शामिल किया जाता है.


फिल्म में इस्लामोफोबिक प्रचार


भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के राज्यसभा सांसद बिनॉय विश्वम ने बुधवार को केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को फिल्म 'द केरल स्टोरी' के बारे में लिखा, कि यह फिल्म "इस्लामोफोबिक प्रचार" पर आधारित है और केरल की छवि को खराब करती है.


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