साउथ फिल्म इंडस्ट्री से लेकर बॉलीवुड में अपनी हिट फिल्मों के लिए फेमस रजनीकांत बोले तो थलाइवा, किसी इंट्रोडक्शन के मोहताज नहीं है. उनका बचपन काफी परेशानियों भरा रहा है, लेकिन आज के समय में उनके पास गाड़ी है, बंगला है, करोड़ों की संपत्ति है. साउथ के इस थलाइवा को पूरी दुनिया उनके अलग अंदाज और खास स्टाइल के लिए जानती है. जिस तरह हिन्दुस्तानियों के लिए क्रिकेट के भगवान सचिन तेदुंलकर हैं उसी तरह फिल्मी दुनिया के फैन्स के लिए रजनीकांत किसी भगवान से कम नहीं है. 1950 में जन्में रजनीकांत आज अपना 73वां जन्मदिन मना रहें हैं. इस सुपरस्टार का जन्म 12 दिसबंर 1950 को बेंगलुरु में हुआ था. थलाइवा के ऐसे खास दिन पर क्यों न पहले उनसे जुड़ी कुछ खास जानकारी से शुरुआत करें . 
तो सबसे पहले आपको बता दें कि इस साल रजनीकांत की फिल्म जेलर ने 600 करोड़ से ज्यादा कमाई कर तमिल सिनेमा का इतिहास बदल दिया. 'जेलर' की इस कमाई के बाद रजनीकांत साउथ के इकलौते ऐसे एक्टर बन गए हैं, जिनकी 2 तमिल फिल्में 500 से ज्यादा का कलेक्शन कर चुकी हैं. 

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कुली से कंडक्टर और फिर थलाइवा  
बेंगलुरु में जन्में रजनीकांत का असली नाम शिवाजी राव गायकवाड़ है. छोटी उम्र में ही रजनीकांत के सिर से मां का साया उठ गया था. वो महज 9 साल के थे, जब उनकी मां दुनिया से गुजर गई. उनके घर की माली हालत ठीक नहीं थी. रजनीकांत के पिता जी रामोजी राव गायकवाड़ एक हवलदार थे. घर की आमदनी कम थी, जिसके कारण शुरुआती दिनों में उन्हें कुली का काम करना पड़ा. कुछ समय बाद उन्हें बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट कंपनी में बस कंडक्टर की नौकरी मिल गई. कंडक्टर के काम के दौरान रजनीकांत अपनी दमदार आवाज के साथ खास स्टाइल में पैसेंजर को टिकट दिया करते थे, जो लोगों को काफी पसंद आता था. रोजाना की तरह जब एक दिन रजनीकांत अपने स्टाइल में टिकट दे रहे थे तभी प्लेराइटर टोपी मुनिप्पा की नजर उनपर पड़ी. सभी लोगों की तरह मुनिप्पा को भी रजनीकांत का स्टाइल पसंद आया और फिर क्या मुनिप्पा ने रजनीकांत को अपने प्ले का हिस्सा बनने को कह दिया, रजनीकांत ने भी तुरंत मुनिप्पा की बात मान ली औऱ फिर कंडक्टर के काम के साथ-साथ प्ले भी करने लगे.

गर्लफ्रेंड के कहने पर शुरू की फिल्मों में एक्टिंग
बस कंडक्टर की नौकरी करते वक्त ही रजनीकांत की दोस्ती बेंगलुरु में पढ़ने वाली मेडिकल स्टूडेंट निर्मला से हुई, कुछ ही समय बाद ये दोस्ती प्यार में तब्दील हो गई. इसी दौरान रजनीकांत ने अपनी गर्लफ्रेंड को प्ले देखने बुलाया. प्ले में रजनीकांत का अभिनय देखकर उनकी गर्लफ्रेंड ने उन्हें हीरो बनने की सलाह दी. इसके बाद साल 1973 में निर्मला ने उनका मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए फॉर्म भर दिया. एक्टिंग कोर्स के दौरान एक दिन रजनीकांत की मुलाकात मशहूर साउथ डायरेक्टर के. बालाचंदर से हुई. उन्होंने रजनीकांत को अपनी तमिल फिल्म में काम करने का ऑफर दिया. इसके बाद रजनीकांत साल 1975 में बालाचंदर की फिल्म 'अपूर्वा रागंगाल' में नजर आए. 

पहले खलनायक फिर नायक 
बालाचंदर की फिल्म 'अपूर्वा रागंगाल' में वो खलनायक के रूप में नजर आए थे. हालांकि फिल्म में उनका किरदार छोटा सा था, लेकिन इसे आॉडियंस के बीच काफी पसंद किया गया. अपने करियर की शुरुआत में रजनीकांत खलनायक की ही भूमिका में नजर आते थे, लेकिन बाद में वो एक शानदरा हीरो के रूप में उभरे. जिसके बाद वो कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और देखते ही देखते रजनीकांत साउथ फिल्म इंडस्ट्री के सुपरस्टार बन गए.



बतौर हीरो पहली फिल्म 'चिलाकम्मा चेप्पिंदी'
साल 1977 में पहली बार रजनीकांत को बतौर हीरो फिल्म में लिया गया. वो फिल्म थी 'चिलाकम्मा चेप्पिंदी'. इस फिल्म में उनकी शानदार एक्टिंग को देखते हुए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर के नॉमिनेट किया गया. इसके बाद उन्हें साल 1978 में फिल्म 'बैरवी' में सोलो लीड कास्ट किया गया. इस फिल्म ने रजनीकांत की पूरी जिंदगी बदल दी और रातोंरात वो सुपरस्टार बन गए. इस फिल्म का निर्देशन एम भास्कर ने किया था. आज की डेट में जैकी चैन के बाद एशिया के सबसे महंगे स्टार  रजनीकांत ही हैं.

साल 2016 में पद्म विभूषण और 2000 में पद्म भूषण
रजनीकांत को साल 2016 में पद्म विभूषण और 2000 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. इतना ही नहीं इसके अलावा 1984 और 2011 में तमिलनाडु स्टेट गवर्नमेंट अवार्ड से नवाजा गया. वहीं 1984, 1985, 1988, 1991, 1992,1993, 1995 में  तमिलनाडू स्टेट फिल्म अवार्ड भी मिले. अब शुरुआत बड़ी बात से की तो अंत भी एक इंट्रेस्टिंग बात से करते हैं . आपको बता दें कि रजनीकांत मूल रूप से मराठी हैं. उन्होंने हिन्दी, कन्नड़, अंग्रेजी, बंगाली और मलयालम फिल्मों में भी अभिनय किया है, लेकिन आज तक कभी भी किसी मराठी फिल्म में नजर नहीं आए