अब नर्स या डॉक्टर नहीं, बल्कि ऐसे चेक होगा मरीज़ों का ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट
AI Technique: आईआईटी के इंजीनियर ने एक ऐसा स्टार्ट अप तैयार किया है जो नर्सों की कमी को पूरी करेगा और इसके इस्तेमाल से मरीजों की जान भी बचाई जा सकेगी. इस सिस्टम को आईआईटी गोरखपुर से पढ़े गौरव परचानी ने बनाया है.
AI Technique: आईआईटी के इंजीनियर ने एक ऐसा स्टार्ट अप तैयार किया है जो नर्सों की कमी को पूरी करेगा और इसके इस्तेमाल से मरीजों की जान भी बचाई जा सकेगी. इस सिस्टम को आईआईटी गोरखपुर से पढ़े गौरव परचानी ने बनाया है. इंदौर के रहने वाले गौरव ने 2013 में आईआईटी से इंजीनियरिंग की. जिसके बाद गौरव रेसिंग कारों की स्पीड और उससे जुड़ी मशीनों पर काम कर रहे थे, लेकिन वो कुछ ऐसा करना चाहते थे जिसका फायदा ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिले. गौरव के मुताबिक हेल्थ टेक्नोलॉजी की मशीनों और रेसिंग कार की टेक्नोलॉजी में ज्यादा फर्क नहीं है.
ये सिस्टम मरीजो के लिए काफी कारगार साबित होगा. अगर एक मरीज अस्पताल के बेड पर लेटा है और उसका ब्लड प्रेशर ऊपर नीचे हो रहा है लेकिन उसे चेक करने के लिए हर वक्त कोई नर्स या डॉक्टर वहां मौजूद नहीं है. मॉनिटर पर आ रहे ईसीजी से पता चल रहा है कि मरीज के दिल की धड़कनें काबू में नहीं हैं , लेकिन नर्स के लिए हर वक्त मरीज का ईसीजी करना और उसकी निगरानी में लगे रहना संभव नहीं है. सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट अस्पताल हर जगह पैरामैडिकल स्टाफ यानी कि नर्स, वॉर्ड ब्वाय और लैब टेक्नीशियन की काफी कमी है.
लेकिन अब मरीज के ब्लड प्रेशर,ऑक्सीजन स्तर, टेंपरेचर ,ईसीजी और हार्ट रेट के कामों को एक मशीन के भरोसे छोड़ा जा सकता है. ये सब काम एक नई AI technique के जरिए किया जा सकता है. इसके लिए अस्पताल के बेड में एक सेंसर लगाना होगा. ये सेंसर मरीज के तमाम टेस्ट करता रहेगा और उसका डाटा मरीज के पास रखे मॉनिटर में डिस्पले होता रहेगा. ये डाटा लगातार नर्सिंग स्टेशन पर मौजूद नर्स के सिस्टम में भी अपडेट होता रहेगा. इतना ही नहीं किसी मरीज का लेवल अगर असामान्य हो रहा है तो जैसे ही उसका ब्लड प्रेशर जरुरत से ज्यादा ऊपर नीचे हो या फिर उसके ईसीजी से हार्ट अटैक का खतरा सामने आ रहा हो तो ऐसे मरीज के डाटा के साथ वॉर्निंग अलर्ट भी आने लगेगा. हाल ही में लॉन्च हुई ये टेक्नोलॉजी देश के कुछ सरकारी और कुछ प्राइवेट अस्पतालों तक पहुंच चुकी है. इस वक्त देश के 300 से ज्यादा अस्पतालों में तकरीबन 8 हज़ार बेड्स पर ये सिस्टम लगाया जा चुका है.
ब्लड प्रेशर, हार्ट रेट और सांस की गति बेड के नीचे लगे सेंसर से पता चल सकती है जबकि ऑक्सीजन, ईसीजी और टेंपरेचर के लिए मरीज को तीन डिवाइस लगाए जाते हैं लेकिन ये सभी वायरलेस डिवाइस हैं. अस्पताल में भर्ती मरीज को अगर चलना फिरना हो तो उसे बार बार तारें हटवाने के लिए किसी को बुलाना नहीं पड़ेगा. एक अंदाजे के मुताबिक, देश में प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों के पास कुल 20 लाख बेड्स हैं. इनमें से आईसीयू बेड्स की तादाद तकरीबन 1 लाख 25 हज़ार के है. केवल इन बेड्स पर मौजूद मरीजों के लिए एक मरीज पर एक नर्स की व्यवस्था संभव है जबकि बाकी 18 लाख से ज्यादा बेड्स में कहीं 5 तो कहीं - कहीं 20 मरीजों पर एक नर्स होती है. ऐसे में बहुत बार इन अस्पतालों में कई मरीज इसलिए आईसीयू तक पहुंच जाते हैं क्योंकि उनकी बिगड़ती हालत पर अस्पताल में होने के बावजूद ध्यान नहीं दिया जा सका. लेकिन AI तकनीक के इस्तेमाल से कई मरीजों की हालत बिगड़ने से पहले ही उनके पैरामीटर्स पर ध्यान दिया जा सकता है और वक्त रहते उनका इलाज किया जा सकता है.
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