सोडियम, जिसे हम आमतौर से नमक के नाम से जानते हैं, हमारे जीवन का एक अद्वितीय हिस्सा है. यह न केवल हमारे शारीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है, बल्कि इसने अपने आर्थिक, धार्मिक, और प्रतीकात्मक महत्व के लिए विश्व के इतिहास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.


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नमक को स्वाद बढ़ाने के रूप में छोड़कर, यह आज़ादी के समय से ही एक मूक लेकिन अपरिहार्य साथी रहा है, जो हमारी सांस्कृतिक पहचान को आकार देता आया है. यह आमतौर से देखने में साधारित हो सकता है, लेकिन इसका महत्व हमारे जीवन में विभिन्न रूपों में छिपा होता है.


इस अद्भुत सामग्री को हम अपनी डेली नीड्स के लिए इस्तेमाल करते हैं, लेकिन क्या हमें यह मालूम है कि हर रोज़ के खाने में इसका अत्यधिक सेवन हमारी किडनी के लिए हानिकारक हो सकता है? नई स्टडी के अनुसार, जो साल्ट को खाने में अधिक मात्रा में डालते हैं, उनमें क्रोनिक किडनी रोग के जोखिम में वृद्धि हो सकती है. यह एक चेतावनी है कि हमें अपने नमकीन  आदतों पर सोचने की आवश्यकता हो सकती है. आइये इसे विस्तार से समझते हैं


शरीर में नमक की भूमिका
सोडियम शरीर के तीन प्रमुख इलेक्ट्रोलाइट्स में से एक है (पोटेशियम और क्लोराइड अन्य दो हैं). इलेक्ट्रोलाइट्स शरीर के टिशूस और सेल्स के अंदर और बाहर जाने वाले फ्लुइड्स को नियंत्रित करते हैं. नमक इलेक्ट्रोलाइट्स का एक प्रमुख स्रोत है. सोडियम हमारे ब्लड प्रेशर और ब्लड वॉल्यूम को नियंत्रित करता है, नर्व फंक्शन और मसल कोन्त्रक्शन में काम आता है, शारीर के फ्लुइड्स और ब्लड के एसिड-बेस संतुलन को विनियमित करता है.


क्या कहती है ये नई स्टडी?
एक नई स्टडी के अनुसार खाने में अधिक मात्रा में नमक डालना सीकेडी(CKD), यानी क्रोनिक किडनी रोग, के खतरे को बढ़ा सकता है. इस स्टडी  में 465,288 प्रतिभागीयों को शामिल किया गया था. जिससे यह पता चला कि जो लोग अपने खाने में अधिक नमक डालते हैं, उनमें विशेषत: सीकेडी के जोखिम में वृद्धि हो सकती है. इस स्टडी से सामने आए महत्वपूर्ण परिणामों के अनुसार, उच्च ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर(glomerular filtration rate) और कम बॉडी मास इंडेक्स वाले लोगों में जोखिम और अधिक स्पष्ट देखा गया. 
JAMA नेटवर्क में प्रकाशित पेपर में टीम ने खुलासा किया कि जो लोग खाने अधिक नमक डालने वाले लोगों में धूम्रपान करने वाले और मधुमेह से पीड़ित लोग पाए गए हैं.


अमेरिका में तुलाने विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञान विभाग के रुई तांग का कहना है कि स्टडी के निष्कर्षों से पता चलता है कि खाने में नमक डालने की आवृत्ति को कम करना सामान्य आबादी में सीकेडी जोखिम को कम करने के लिए एक मूल्यवान रणनीति हो सकती है. पिछले अध्ययनों में यह साबित हुआ है कि खाने में अधिक नमक डालने से लोगों में हृदय रोग,समय से पहले मृत्यु दर, और टाइप 2 मधुमेह के बढ़ते जोखिम देखे गये हैं.


एक नई स्टडी ने यह भी दिखाया किटीम ने यह भी पता लगाया कि सीकेडी के साथ नमक के सेवन का संबंध उन प्रतिभागियों में कम था जो नियमित शारीरिक गतिविधि में लगे हुए थे, उन लोगों की तुलना में जो कम शारीरिक रूप से सक्रिय थे, जिसका अर्थ है कि इष्टतम शारीरिक गतिविधि सीकेडी के साथ उच्च नमक प्राथमिकता के नकारात्मक संबंध को कम कर सकती है.शोधकर्ताओं ने कहा कि यह निष्कर्ष पूर्व अध्ययनों द्वारा समर्थित है, जिसमें बताया गया था कि बढ़ी हुई शारीरिक गतिविधि बेहतर सीकेडी परिणामों से जुड़ी थी.


इस स्टडी  के परिणाम साबित करते हैं कि नमक का ज्यादा सेवन सीकेडी के खतरे को बढ़ा सकता है, लेकिन आपकी शारीरिक गतिविधि और आदतें इस प्रभाव को कम कर सकती हैं.इसलिए, अगर आप भी अगर खाने में नमक डालने  की आदत रखते हैं, तो इसे संतुलित रूप से करें और नियमित शारीरिक गतिविधि को अपनाएं, ताकि आपकी किडनी और सेहत सदैव स्वस्थ रहें.