कर्नाटक में शावर्मा के खिलाफ हल्ला बोल; 17 में 9 नमूनों में मिला बासी गोश्त
Cracks Down on Shawarma: कर्नाटक के हिल्थ डिपार्टमेंट ने अनहाइजेनिक शावर्मा बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है. इससे पहले डिपार्टमेंन्ट ने कर्नाटक में खाने वाला बैन कर दिया था.
Cracks Down on Shawarma: कर्नाटक में शावर्मा बेचने वाले दुकानदारों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई शुरू की है. इल्जाम है कि शावरमा बेचने वाले अनहाइजेनिक शावरमा बेचते हैं. पूरे राज्य में लोगों ने शिकायत की है कि वह शावरमा खाकर बीमार पड़ रहे हैं. यह कार्रवाई विभाग द्वारा हाल ही में कबाब और गोभी मंचूरियन में कृत्रिम रंगों पर प्रतिबंध लगाने के बाद की गई है. स्वास्थ्य अधिकारियों ने 10 जिलों से शावरमा के नमूने लिए.
आधे नमूने फेल
इन नमूनों की जांच से पता चला कि 17 में से केवल 9 नमूने ही खाने के लिए सुरक्षित थे. शेष नमूनों में बैक्टीरिया और खमीर पाए गए, जो संभवतः अस्वच्छ खाना पकाने की प्रथाओं या भोजनालयों में लंबे समय तक मांस के भंडारण के कारण थे. स्वास्थ्य विभाग के एक आधिकारिक आदेश में कहा गया है, "लैब रिपोर्ट के आधार पर, हमने खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006 और खाद्य सुरक्षा और मानक (खाद्य उत्पाद, मानक और खाद्य योजक) विनियम, 2011 के तहत उन होटलों और रेस्तराओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है, जहां अस्वच्छ शवरमा तैयार किया गया था."
सही दुकानों से खरीदने की हिदायत
सरकार ने उपभोक्ताओं को सलाह दी है कि वे केवल भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा लाइसेंस प्राप्त भोजनालयों से ही शवरमा खरीदें. इसके अलावा सभी भोजनालयों को प्रतिदिन ताजे मांस से शवरमा तैयार करने, अपने आउटलेट को FSSAI अधिनियम के तहत पंजीकृत करने और लाइसेंस प्राप्त करने का निर्देश दिया गया है. सरकार ने इन दिशा-निर्देशों का पालन न करने वाले भोजनालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है.
खाने वाला रंग बैन
24 जून को, राज्य सरकार ने पूरे राज्य में चिकन कबाब और मछली के व्यंजनों में कृत्रिम रंगों के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की. यह निर्णय गुणवत्ता निरीक्षण के बाद लिया गया, जिसमें पता चला कि कृत्रिम रंगों से इन खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता प्रभावित होती है. इस प्रतिबंध का उल्लंघन करने पर कठोर दंड का प्रावधान है.