आज के समय में खान-पान से लेकर रहन सहन तक सब कुछ बदल गया है. जैसे-जैसे समाज आधुनिकता की तरफ बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे भागदौड़ में वह एक हेल्दी लाइफस्टाइल से दूर होता जा रहा है, जिसका सबसे ज्यादा असर सेहत पर पड़ रहा है. इस लाइफस्टाइल का असर महिलाओं की प्रेग्नेंसी पर भी पड़ा है. दिन-ब-दिन खराब लाइफस्टाइल के कारण और बदलते परिवेश के कारण महिलाओं को कंसीव करने में समस्या आने लगी है. कंसीव हो जाए तो कई बार मिसकैरेज हो जाता है जिसके बाद फिर कंसीव करने में दिक्कत आने लगती है. ऐसी समस्याओं से निजात पाने के लिए महिलाओं का आईवीएफ ट्रीटमेंट किया जाता है. इसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन के नाम से भी जाना जाता है. आईवीएफ का चलन पिछले कुछ सालों में काफी बढ़ा है लेकिन हर बार इस प्रक्रिया से कोई माता-पिता बन जाए ऐसा नहीं होता. कई बार इसके मामले विफल भी होते हैं. लेकिन पहले जानते हैं आईवीएफ है क्या?


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क्या है आईवीएफ (IVF)
आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, इसमें जब किसी महिला का शरीर ऐग को फर्टिलाइज करने में सफल नहीं हो पाता है, तब ऐग को लैब में फर्टिलाइज़ कराया जाता है. एक बार जब ऐग फर्टिलाइज हो जाते हैं तो इन्हें महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है. आसान शब्दों में अगर कहा जाए तो लैब में महिला के ऐग और पुरुष के स्पर्म को लैब में फर्टिलाइज कराया जाता है और जब फर्टिलाइजेशन हो जाता है और गर्भ तैयार हो जाता है तो इसे महिला के गर्भाशय में डाल दिया जाता है.


किसे कराना चाहिए आईवीएफ
अक्सर हार्मोनल इंबैलेंस और इनफर्टिलिटी की वजह से कपल्‍स को आईवीएफ की मदद लेनी पड़ती है. पीसीओडी या पीसीओएस से ग्रस्‍त महिलाओं को भी नैचुरली कंसीव करने में बहुत परेशानी होती है, ऐसी स्थिति में भी महिलाएं आईवीएफ की सहायता लेकर मां बन सकती हैं. लेकिन इसके अलावा ऐसी महिलाएं जो एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित हैं, जिन्हें कोई आनुवंशिक बिमारी है, जिन महिलाओं का फैलोपियन ट्यूब डैमेजड हो, बार-बार मिसकैरेज हो जाता हो.


क्या इसके लिए कोई उम्र सीमा भी होती है?
जब भी आईवीएफ की बात आती है, तो आपको यह सबसे पहला सवाल उठता है कि क्या इसमें कोई उम्र की सीमा भी है. दरअसल आईवीएफ के लिए उम्र और आईवीएफ की सफलता दर आपस में जुड़ी हुई है. 35 से कम उम्र की महिलाओं में आईवीएफ की सफलता दर अधिक होने की संभावना है. यह ज्यादातर इसलिए है क्योंकि 35 वर्ष की आयु के बाद लाइफ स्पैन और उसकी क्वालिटी में कमी आने लगती है, इसलिए प्रेगनेंसी मुश्किल हो जाती है. अगर आप 35 के बाद प्रेगनेंट हो भी जाती हैं तो गर्भपात के खतरे बने रहते हैं. 40 के बाद महिलाओं को आईवीएफ के लिए जाने पर विचार करना चाहिए. हालांकि इसमें निराश होने वाली बात नहीं है. अगर आप चाहे तो इसके बाद आप डोनर ऐग भी चुन सकती हैं.


आईवीएफ के बाद क्या-क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के बाद अगर आप चाहते हैं कि आपकी प्रेग्नेंसी हेल्दी हो तो आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. अपनी दवाएं लेते रहें, इस दौरान सोडा और अल्कोहल के सेवन से बचें, आराम करें, खुश रहें, ज्यादा जंक फूड ना खाएं.