नई दिल्लीः न्यूरोलॉजिस्ट एम. वी. श्रीवास्तव ने दावा किया है कि आघात (स्ट्रोक) भारत में मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन गया है. इस वक्त देश में हर चार मिनट में इससे एक शख्स की मौत हो रही है. श्रीवास्तव ने एक प्रोग्राम में कहा, "आघात के 68.6 फीसदी मामले और इससे मौत के 70.9 फीसदी मामले अकेले भारत में सामने आ रहे हैं. जब दिमाग की कोई रक्त वाहिका फट जाती है और उससे खून बहने लगता है या मस्तिष्क को खून की आपूर्ति में रुकावट आती है तो ‘स्ट्रोक’ होता है.’’ 

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इलाज के लिए बुनियादी ढांचे और संसाधनों की कमी
पद्मा श्रीवास्तव ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सर गंगा राम अस्पताल में आयोजित एक व्याख्यान में कहा, "भारत में हर साल आघात के लगभग 1,85,000 मामले सामने आते हैं, हर 40 सेकंड में आघात का लगभग एक मामला सामने आता है और हर चार मिनट में यह बीमारी एक व्यक्ति की जान लेती है.’’ श्रीवास्तव ने कहा कि ये आंकड़े भारत के लिए चिंताजनक हैं. उन्होंने कहा कि इन चिंताजनक आंकड़ों के बावजूद कई भारतीय अस्पतालों में आघात के मरीजों का शीघ्र और बेहतर ढंग से इलाज करने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे और संसाधनों की कमी है. 
पद्म श्री पुरस्कार विजेता पद्मा श्रीवास्तव ने आघात की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने के लिए समाधानों को सूचीबद्ध किया है. 
यह प्रोग्राम अस्पताल के अनुसंधान विभाग द्वारा आयोजित किया गया था.


स्ट्रोक के लक्षण
आपको या आपके साथ रहने वाले किसी व्यक्ति को स्ट्रोक हो सकता है. इसके कुछ लक्षण प्रकट होते हैं, जिससे आप इसे समझ और पहचान सकते हैं. 
दूसरे क्या कह रहे हैं बोलने और समझने में परेशानी होना.  भ्रम का शिकार होना  
आप चेहरे, हाथ या पैर में अचानक सुन्नता और कमजोरी आ सकती है 
यह अक्सर शरीर के सिर्फ एक हिस्से को प्रभावित करता है
जब आप मुस्कुराने की कोशिश करते हैं तो आपके मुंह का एक हिस्सा लटक सकता है
एक या दोनों आँखों में अचानक धुंधली या काली दृष्टि हो सकती है
अचानक, गंभीर सिरदर्द, जिसके साथ उल्टी, चक्कर आना या चेतना में बदलाव हो सकता है
आप लड़खड़ा सकते हैं या अपना संतुलन खो सकते हैं


डॉक्टर को कब दिखाना है
अगर आपको स्ट्रोक के कोई संकेत या लक्षण दिखाई देते हैं, भले ही वे आते और जाते हों या वे पूरी तरह से गायब हो जाएं, तो तत्काल चिकित्सा सहायता लें. यह देखने के लिए प्रतीक्षा न करें कि क्या लक्षण रुकते हैं या नहीं. हर मिनट मायने रखता है. स्ट्रोक का जितना अधिक समय तक इलाज नहीं किया जाता है, मस्तिष्क के क्षति और अक्षमता की संभावना उतनी ही अधिक होती है.


Zee Salaam