breast cancer: देश में बढ़ रहा ब्रेस्ट कैंसर का खतरा, कहीं आप भी तो नहीं है इसके शिकार; जानें
breast cancer symptoms: हर एक लाख ख़्वातीन में से बंगलौर में 40.5 ख़्वातीन को ब्रेस्ट कैंसर, जबकि दिल्ली में हर एक लाख ख़्वातीन में से 38.6 ख़्वातीन ब्रेस्ट कैंसर से मुतास्सिर हैं. उधर पटियाला में हर एक लाख ख़्वातीन में से 36.9 ख़्वातीन में ब्रेस्ट कैंसर पाया गया है.
chemotherapy: दुनियाभर की तरह हिंदुस्तान की ख़्वातीन के लिए भी सबसे खतरनाक कैंसर ब्रेस्ट कैंसर हैं. पूरे मुल्क में हर साल तकरीबन 75,000 से ज्यादा ख़्वातीन इसका शिकार हो जाती हैं. लेकिन NFHS-5 सर्वे को बुनियाद मानें तो मुल्क की ख़्वातीनव का ब्रेस्ट कैंसर का टेस्ट, Uterine और मुंह के कैंसर से भी कम हो रहा है.
लेकिन यहां बड़ा सवाल ये है कि जब ब्रेस्ट कैंसर इतना कॉमन है तो उसके टेस्ट इतने कम क्यों हैं. NFHS-5 के हाल ही में जारी हुए National Family Health Survey में पहली बार कैंसर के स्क्रीनिंग टेस्ट को शामिल किया गया. सर्वे में पता चला कि जिस कैंसर से ख़्वातीन को सबसे ज्यादा खतरा देखा जा रहा है, उससे बचने के लिए सबसे कम टेस्ट हो रहे हैं. Uterine Cancer के मामले में जहां 1000 में से 12 ख़्वातीन टेस्ट करवाती हैं तो वहीं ब्रेस्ट कैंसर में 1000 में से 6 ही ख़्वातीन टेस्ट कराती हैं जिसकी शरह बिल्कुल आधी है. वाज़ेह रहे कि दुनिया के साथ-साथ हिंदुस्तान में भी ख़्वातीन में ब्रेस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिले हैं. ऐसे में सर्वे में स्तन कैंसर के सबसे कम टेस्ट होना एक खतरनाक इसारा है....ये सर्वे ये भी बताता है कि स्तन कैंसर के मामले में अवाम और सरकारों के बीच और बेदारी की जरूरत है.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की रिपोर्ट:
साल 2020 में दुनिया में Breast Cancer में 23 लाख ख़्वातीन में ब्रेस्ट कैंसर के मामले सामने आए हैं. वहीं Breast Cancer से 6.85 लाख मरीजों की मौत भी हुई है. मतलब हर चार में से एक मरीज यानि 28% मरीज़ों ने ब्रेस्ट कैंसर के सबब इस दुनिया को अलविदा कहा, और अफ़सोस की बात ये है कि गुज़िश्ता कुछ वक़्त से ब्रेस्ट कैंसर ख़्वातीन में सबसे ज्यादा फैलने वाला कैंसर बन चुका है. 2016-2020 के 5 सालों में 78 लाख ख़्वातीन ब्रेस्ट कैंसर से मुतास्सिर हुई हैं.
National Centre for Disease Informatics and Research की रिपोर्ट के मुताबिक़ मुल्क भर में ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में साल दर साल इज़ाफ़ा हो रहा है. जबकि Uterine Cancer के मामलों में मामूली गिरावट आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्क भर में हर एक लाख ख़्वातीन में 29.9 कैंसर के मामले सामने आ रहे हैं. इनमें से 11.1 फ़ीसद ख़्वातीन की मौत हो जाती है.
2025 में होंगे ब्रेस्ट कैंसर के 2.32 लाख भारतीय मरीज़:
National Cancer Registry Program में ये भी पाया गया कि हैदराबाद में हर एक लाख ख़्वातीन में से 48 ख़ेवातीन को ब्रेस्ट कैंसर है. चेन्नई में हर एक लाख ख़्वातीन में से 42.2 ख़्वातीन को ब्रेस्ट कैंसर, हर एक लाख ख़्वातीन में से बंगलौर में 40.5 ख़्वातीन को ब्रेस्ट कैंसर, जबकि दिल्ली में हर एक लाख ख़्वातीन में से 38.6 ख़्वातीन ब्रेस्ट कैंसर से मुतास्सिर हैं. उधर पटियाला में हर एक लाख ख़्वातीन में से 36.9 ख़्वातीन में ब्रेस्ट कैंसर पाया गया है. कुल मिला कर अगर मुख़्तलिफ़ रियासतों की बात करें तो हैदराबाद में ब्रेस्ट कैंसर का ख़तरा सबसे ज़्यादा है जबकि कुल मिला कर पूरे हिंदुस्तान में हर एक लाख ख़्वातीन में से 29.9 ख़्वातीन को ब्रेस्ट कैंसर पाया गया है.
National Cancer Registry Program की रिपोर्ट में अंदाज़ा लगाया गया है कि साल 2025 तक हिंदुस्तान में कुल कैंसर मुतास्सिरीन की तादाद 15 लाख के पार हो जाएगी. जिसका सबसे ज़्यादा शिकार 27.1% लोग तम्बाकू खाने वाले होंगे. जबकि दूसरे नम्बर पर 19.8% के साथ स्टमक कैंसर है वहीं तीसरे नम्बर पर 14.8% के साथ ब्रेस्ट कैंसर है.
ब्रेस्ट कैंसर के सिम्पटम्स क्या हैं ?
अगर सिम्पटम्स की बात करें तो ब्रेस्ट कैंसर के सिम्पटम्स में सबसे आम ब्रेस्ट में दर्द, गांठ या शेप में बदलाव देखा जाता है. इसलिए यह जरूरी है कि ब्रेस्ट में ग़ैर मामूल गांठ पाए जाने पर ख़्वातीन 1-2 महीने के अंदर ही डॉक्टरी सलाह लेने की ज़रूरत होती है.
और क्या हैं सिम्पटम्स ?
गांठ या मोटा होना
शेप में तब्दीली
स्किन में डिंपल, लाली, पिटिंग
निप्पल में तब्दीली
निप्पल (एरिओला) के आसपास बदलाव
निप्पल से ग़ैर मामूल डिस्चार्ज
साफ़ पानी, साफ हवा और साफ़ खाना करेगी बचाव:
ऐसे में सवाल ये है कि अगर आप कैंसर से मुतास्सिर हैं या फिर आप कैंसर से अपना बचाव करना चाहते हैं तो आपको क्या खाना चाहिए और किन चीज़ों को खाने से परहेज़ करना चाहिए. ऐसा कहा जाता है कि साफ़ पानी, साफ हवा और साफ़ खाना और ऐसा खाना जिससे एसिडिटी हो, उस खाने से परहेज़ करना चाहिए. साथ ही डाइट में फाइबर ज़रूर लेना चाहिए. सबसे बड़ी बात ये है कि सही और वक़्त पर इलाज के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि कैंसर सही वक़्त पर डिटेक्ट हो सकें, और इसके लिए ज़रूरी है कि ख़्वातीन सेल्फ़ असेसमेंट कर सकें. हालांकि कई बार इस तरह की बातें भी सुनने में आती हैं कि एल्कोहोल और वाइन से कैंसर का इलाज मुमकिन है.लेकिन माहरीने सेहत बताते हैं कि शराब और तम्बाकू किसी भी तरह से ठीक नहीं हैं. माहेरीने सेहत की जानिब से सेहतमंद ज़िंदगी गुज़ारने के लिए BMI 25 से कम और हफ़्ते में 150 मिनट या फिर रोज़ 30 मिनट तक की हिदायत दी जाती है. हालांकि माहेरीने सेहत के मुताबिक़ कैंसर को अगर सही वक़्त और सही तरीक़े से डिटेक्ट कर लिया जाए तो वक़्त रहते इलाज किया जा सकता है, और कैंसर से बचाव के लिए ये ज़रूरी है कि हेल्दी लाइफ़स्टाइल जिया जाए. सेहतमंद होने के लिए डाइट का और खाने का ख़ास ख़्याल रखा जाए.
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