मांसहार से सिर्फ नुकसान नहीं, मिलते हैं ये खास फायदे; शाकाहारियों को यहां उठाना होता है नुकसान
हालिया रिसर्च में पाया गया है कि मांसहारी लोगों की तुलना में शाकाहारियों में कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा 50 फीसदी ज्यादा होता है और वह प्रोटीन की कमी से भी जूझते हैं.
लंदनः दुनियाभर में शाकाहार बढ़ रहा है. शाकाहारी लोग मांसहार का विरोध करते हैं. इसके अलावा डॉक्टर भी मांसहार को बहुत अच्छा नहीं मानते हैं. इसके बावजूद तमाम रिर्सच और अलग-अलग जलवायू में रहने वाले लोगों की खान-पान की आदतों से ये साबित है कि मांसहार उतना भी बुरा नहीं है, जितना इसे बताया और प्रचारित किया जाता है. अगर ऐसा ही होता तो हर मांसहारी इंसान जल्दी इस दुनिया से विदा हो जाते और हर शाकाहारी इंसान सौ साल की उम्र पूरी कर लेता.
एक ताजा रिसर्च में सामने आया है कि शाकाहारी भोजन करने वाले औरतों और मर्दों को नियमित रूप से मांसाहार का सेवन करने वाले लोगों के मुकाबले में कूल्हे के फ्रैक्चर का खतरा 50 फीसदी ज्यादा होता है.
लीड्स यूनिवर्सिटी के रिसचर्स 413,914 लोगों - पुरुषों और महिलाओं दोनों - के डेटा का विश्लेषण करने के बाद इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि शाकाहारी पुरुषों को भी नियमित रूप से मांस खाने वाले पुरुषों की तुलना में हिप फ्रैक्चर का ज्यादा खतरा होता है. इस रिसर्च का नेतृत्व करने वाले स्कूल ऑफ फूड साइंस एंड न्यूट्रिशन के डॉक्टरेट शोधकर्ता जेम्स वेबस्टर ने कहा, “उम्र बढ़ने वाले समाज में कूल्हे का फ्रैक्चर एक बढ़ती हुई समस्या है, और यह कमजोर सेहत जैसी स्थितियों और जीवन की गुणवत्ता में कमी की वजह बन सकती है."
यूनिवर्सिटी में पोषण महामारी विज्ञान ग्रुप की रहनुमाई करने वाले प्रोफेसर जेनेट कैड ने कहा, “हालांकि शाकाहारी भोजन करने से सेहत के बहुत सारे फायदे हैं. लेकिन इससे लोगों की हड्डियां कमजोर हो सकती है. उन्होंने कहा कि इस रिसर्च से शाकाहार और मांसाहार आहार की गुणवत्ता और प्रमुख पोषक तत्वों के संतुलन को समझने में और भविष्य में हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है."
बीएमसी मेडिसिन पत्रिका में प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है कि मांस खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों को कूल्हे के फ्रैक्चर का अधिक खतरा होता है. वेबस्टर ने कहा, “शाकाहारी आहार के स्वास्थ्य लाभ, जिनमें कैंसर और हृदय रोग का कम जोखिम शामिल है, लेकिन कूल्हे के फ्रैक्चर के जोखिम का खतरा भी कम नहीं है."
शोधकर्ताओं ने भविष्यवाणी की है कि औसतन 6.5 नियमित मांस खाने वाले (जो सप्ताह में पांच या ज्यादा बार मांस खाते हैं) और 6.5 कभी-कभार मांस खाने वाले (सप्ताह में पांच बार से कम मांस खाते हैं) को कूल्हे की हड्डी में फ्रैक्चर का अनुभव होगा, जबकि पेस्केटेरियन (जो मांस खाते हैं) में 7 मामले होंगे. शाकाहारियों में 9.5 मामले (जो डेयरी खाद्य पदार्थ खाते हैं लेकिन मछली या मांस नहीं), उनमें ज्यादा खतरा देखा गया है.
इसके अलावा, वेबस्टर ने बताया कि कम बीएमआई उनके जोखिम ज्यादा होने का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है. इसके अतिरिक्त, मांस खाने वालों की तुलना में शाकाहारियों में प्रोटीन की सिफारिशों को पूरा करने की संभावना लगभग 17 प्रतिशत कम थी.
अध्ययन का संदेश यह है कि शाकाहारियों को यह ध्यान रखने की ज़रूरत है कि उन्हें पर्याप्त प्रोटीन के साथ संतुलित आहार मिल रहा है या नही और एक स्वस्थ बीएमआई किस तरह बनाए रखा जाए? इससे शाकाहारी लोगों को अपने हड्डियों और मांसपेशियों को स्वस्थ बनाए रखने में मदद मिलेगी.’’
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