क्या आप ये जानते हैं ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर (एएसडी) 2 से 9 वर्ष की आयु के लगभग 1 प्रतिशत  से 1.5 प्रतिशत बच्चों को प्रभावित करता है. स्कूली उम्र के लगभग 10% बच्चों में हल्की से गंभीर लर्निंग डिसेबिलिटी देखी गयी है. आपको जान कर हैरानी होगी कि ऑटिज़्म दुनिया की तीसरी सबसे आम डेवलपमेंटल डिसेबिलिटी है. एक न्यूरोलॉजिकल यानि दिमाग से सम्बंधित  बीमारी जो आमतौर पर तीन साल की उम्र तक एक बच्चे में नज़र आती है. अनुमान है कि भारत में लगभग 18 मिलियन लोग ऑटिज्म से पीड़ित हैं और ये आंकड़े और तेज़ गति से आगे बढते जा रहे हैं. इसके पीछे के कारणों में कम जागरुकता, बुनियादी सेवाओं की कमी और खराब निदान सहित अन्य कारक शामिल है जिसकी वजह से ऑटिज्म के मामलों की संख्या इतनी तेज़ी से बढ़ रही है.
 
दरअसल, आटिज्म हमारे ब्रेन की कोम्प्लेक्स्सिटी को दर्शाता है और ह्यूमन ब्रेन को समझने की हमारी इच्छा शाश्वत है. आपको जान कर हैरानी होगी कि ह्यूमन ब्रेन में 100 अरब से अधिक न्यूरॉन्स होते हैं, और प्रत्येक न्यूरॉन 10,000 अन्य न्यूरॉन्स से जुड़ा होता है. हालाँकि न्यूरो साइंटिस्ट, मनोवेग्यानिकों ने सदियों से हमारे ब्रेन के हर कोड को समझने की कोशिश की है, लेकिन अब तक उन्होंने केवल उपरी सतह को ही खंगाला है. आज की इस खबर में हम शुरू से लेकर अंत तक आपको समझायेंगे की आखिर ये ऑटिज्म है क्या है और किस तरह से इसके लक्षण आपके बच्चे के ग्रोथ इयर्स में दिखते हैं? 
 
क्या है ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर?
हमारा ब्रेन बाहरी दुनिया को कैसे देखता है? कैसे पूर्वाग्रह बनाता है और उसके साथ बातचीत करने के तरीके कैसे तैयार करता है? यह न केवल काम्प्लेक्स है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए यूनिक भी है. जितना अधिक शोधकर्ता इसकी जांच करते हैं, उतना ही उन्हें पता चलता है कि हमारे व्यवहार और भाषा को प्रभावित करने वाले कारक बहुआयामी( multifaceted) हैं. इसे में आप सोचिये की एक दिन अगर अप अचानक से अपने शब्दों के माध्यम से खुद को अभिव्यक्त करने की क्षमता खो दें तो आप क्या महसूस करेंगे?
ऑटिज्म या ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर (एएसडी) एक ऐसी ही स्थिति है जो किसी के लर्निंग, बिहेवियर और कम्युनिकेशन को प्रभावित करती है. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर आपके दिमाग के विकास से संबंधित एक स्थिति है जो एक व्यक्ति को दूसरों के साथ मेलजोल और उनके बारे में सोचने के तरीके को प्रभावित करती है, जिसके कारण सामाजिक संपर्क और कम्युनिकेशन में समस्याएं पैदा करती हैं. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में "स्पेक्ट्रम" शब्द लक्षणों और गंभीरता की विस्तृत श्रृंखला को दर्शाता है. ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  में वे स्थितियां शामिल हैं जिन्हें पहले अलग माना जाता था जैसे कि ऑटिज़्म, एस्परगर सिंड्रोम आदि.  कुछ लोग अभी भी "एस्पर्जर सिंड्रोम" शब्द का उपयोग करते हैं, जिसे आम तौर पर ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  को हल्के अंक में माना जाता है.
ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बचपन में शुरू होता है.अक्सर बच्चों में पहले वर्ष के भीतर ही ऑटिज्म के लक्षण दिखने लगते हैं.  बहुत कम संख्या में बच्चे पहले वर्ष में सामान्य रूप से विकसित होते दिखाई देते हैं, और फिर 18 से 24 महीने की उम्र के बीच उनमें ऑटिज्म के लक्षण विकसित होते हैं.

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ऑटिज़्म और ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर में क्या अंतर है?
अमेरिकन साइकिएट्रिक एसोसिएशन ने 2013 में ऑटिज्म शब्द को बदलकर ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कर दिया. एएसडी अब एक व्यापक शब्द है, जो ऑटिज्म के विभिन्न स्तरों को कवर करता है. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम में अब वे स्थितियाँ भी शामिल हैं जिन्हें प्रदाता अलग मानते थे, जिनमे ऑटिज़्म, एस्परगर सिंड्रोम और पेर्वेसिव डेवलपमेंटल डिसऑर्डर( Pervasive developmental disorder) शामिल है

ऑटिज्म के लक्षण क्या हैं?
ऑटिज्म के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर रूप से अक्षम करने वाले होते हैं. कुछ बच्चों में शुरुआती शैशवावस्था में ही ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे आंखों से कम संपर्क, अपने नाम पर प्रतिक्रिया की कमी या देखभाल करने वालों के प्रति उदासीनता. अन्य बच्चे जीवन के पहले कुछ महीनों या वर्षों तक सामान्य रूप से विकसित हो सकते हैं, लेकिन फिर अचानक पीछे हट जाते हैं या आक्रामक हो जाते हैं या पहले से हासिल भाषा कौशल खो देते हैं. लक्षण आमतौर पर 2 वर्ष की उम्र तक दिखाई देने लगते हैं. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  वाले प्रत्येक बच्चे के व्यवहार और गंभीरता के स्तर का एक अनूठा पैटर्न होने की संभावना है - लो फंक्शनिंग से लेकर हाई फंक्शनिंग तक.


इस  डिसऑर्डर वाले कुछ बच्चों को सीखने में कठिनाई होती है, और कुछ में सामान्य से कम बुद्धि के लक्षण होते हैं. वहीं अन्य बच्चों में सामान्य से उच्च बुद्धि होती है. वे जल्दी सीखते हैं, फिर भी उन्हें संचार करने और रोजमर्रा की जिंदगी में जो कुछ भी पता है उसे लागू करने और सामाजिक परिस्थितियों में समायोजित करने में परेशानी होती है. 
हालांकि जैसे-जैसे बच्चे बड़े  होते हैं, ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले कुछ बच्चे दूसरों के साथ अधिक व्यस्त हो जाते हैं और व्यवहार में कम गड़बड़ी दिखाते हैं. आमतौर पर कम गंभीर समस्याओं वाले लोग  सामान्य या लगभग सामान्य जीवन जी सकते हैं. मगर फिर भी उन्हें दूसरों को भाषा या सामाजिक कौशल में कठिनाई होती रहती है, और टीनएज में आकर ये समस्याएं बढ सकती हैं. 
 


डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?
हर बच्चे  का विकास अपनी गति से होता है, और कई बच्चे पालन-पोषण संबंधी पुस्तकों में दी गई सटीक समय-सीमा का पालन नहीं करते हैं. लेकिन ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों में आमतौर पर 2 साल की उम्र से पहले विकास में देरी के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं. यदि आप अपने बच्चे के विकास के बारे में चिंतित हैं या आपको संदेह है कि आपके बच्चे को ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  हो सकता है, तो अपने डॉक्टर से अपनी चिंताओं पर चर्चा करें। विकार से जुड़े लक्षणों को अन्य विकासात्मक विकारों से भी जोड़ा जा सकता है. ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर  के लक्षण अक्सर ग्रोथ स्टेज के शुरू में ही प्रकट होते हैं जब भाषा कौशल और सामाजिक संपर्क में स्पष्ट देरी होती है. आपका डॉक्टर यह पहचानने के लिए डेवलपमेंटल टेस्ट्स की सिफारिश कर सकता है कि क्या आपके बच्चे में संज्ञानात्मक, भाषा और सामाजिक कौशल में देरी है, यदि आपका बच्चा:


1-6 महीने तक मुस्कुराहट या प्रसन्न अभिव्यक्ति के साथ प्रतिक्रिया नहीं करता है
2-9 महीने तक आवाज या चेहरे के भावों की नकल नहीं करता
3-12 महीने की उम्र तक बड़बड़ाता नहीं है
4-14 महीने तक इशारा नहीं करता - जैसे बिंदू या लहर
5-16 महीने तक एक भी शब्द नहीं बोलता
6-18 महीने की उम्र तक "बनावटी विश्वास" या दिखावा नहीं करता
7-24 महीने की उम्र तक दो शब्द के वाक्यांश नहीं बोलता तो आपको इस डिसऑर्डर की जाचं करने की सलाह दी जाती है.