Donald Trump on Gaza War: ट्रंप की वापसी के बाद इजरायल का होगा विस्तार? जानें फिलिस्तीन का क्या होगा भविष्य
Donald Trump on Gaza War: डोनाल्ड ट्रंप की यह दूसरी जीत इस मायने में भी खास है कि इस बार सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत हासिल हुआ है. इस बीच ट्रंप की इस जीत के बाद सबसे ज्यादा चर्चा का विषय गाजा युद्ध है.
Donald Trump on Gaza War: डोनाल्ड जॉन ट्रंप ने आज यानी 6 नवंबर को एक बार फिर राष्ट्रपति इलेक्शन जीत लिया. भारतीय समयनुसार शाम 5.30 तक उन्होंने 277 इलेक्टोरल वोट हासिल कर लिए थे, जो कि बहुमत के 270 के जादुई आंकड़े से कहीं ज्यादा थे.सबसे खास बात यह है कि 78 साल की उम्र में ट्रंप व्हाइट हाउस में कदम रखने वाले सबसे उम्रदराज राष्ट्रपति होंगे. वह पराजित होने के बाद चुने जाने वाले अमेरिकी इतिहास के दूसरे राष्ट्रपति बन गए हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड सिर्फ ग्रोवर क्लीवलैंड के नाम था जो 1892 में दूसरी बार इलेक्शन जीते थे.
गाजा युद्ध हो जाएगा खत्म?
डोनाल्ड ट्रंप की यह दूसरी जीत इस मायने में भी खास है कि इस बार सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी को बहुमत हासिल हुआ है. इस बीच ट्रंप की इस जीत के बाद सबसे ज्यादा चर्चा का विषय गाजा युद्ध है. चूंकि चुनाव प्रचार में ट्रंप ने इजरायल के विस्तार की बात कही थी. हालांकि, ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान ही इजरायली पीएम नेतन्याहू से मुलाकात की थी और ट्रंप ने एक तरह से इजरायल को अल्टीमेटम दिया था कि उनके राष्ट्रपति बनने से पहले गाजा युद्ध को खत्म कर दे. वहीं,1 नवंबर को ट्रंप मिशिगन के डियरबॉर्न में एक लेबनानी रेस्तरां पहुंचे थे, जहां उन्होंने कसम खाई थी कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति चुने गए तो मीडिल में शांति स्थापित करेंगे.
ट्रंप की वापसी से गाजा समेत मिडिल ईस्ट के इन देशों का क्या होगा भविष्य
ऐसे सवाल यह है कि अगर इजरायल का विस्तार होता है तो फिलिस्तीन का भविष्य क्या होगा और गाजा और लेबनान में चल रहे युद्ध को लेकर ट्रंप का क्या रुख रहेगा? क्या मिडिल ईस्ट में फिर शांति लौट आएगी या चल रहे युद्ध का दायरा और बढ़ जाएगा? आइए जानते हैं...
येरुशलम को बना दिया था राजधानी
चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप लगातार इस बात पर जोर देते रहे थे कि अगर वह दोबारा राष्ट्रपति बनते हैं, गाजा की आर्थिक स्थिति के साथ सऊदी और इजराइल के बीच संबंध सामान्य बनाने के लिए संभावित समझौते पर जोर देंगे. हालांकि, पिछली बार ट्रंप ने अपनी कार्यकाल के दौरान ट्रंप ने मिडिल ईस्ट में कई राजनीतिक और कूटनीतिक बदलाव किए थे. इसके तहत डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कार्यकाल के पहले ही साल में येरुशलम को इजराइल की राजधानी के रूप में मान्यता दी थी और अमेरिकी दूतावास को भी फिलिस्तीनी क्षेत्र येरुशलम में शिफ्ट कर दिया था. इससे साफ हो गया था कि ट्रंप डेमोक्रेटिक पार्टी के मुकाबले ट्रंप इजरायल से ज्यादा सहानुभूति रखते हैं और इजरायल के बेहद करीब है.
फिलिस्तीन का खत्म हो जाएगा भविष्य
अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप के इस फैसले से मिडिल ईस्ट के जानकारों का कहना है कि ट्रंप चाहते हैं कि इजरायल का विस्तार हो. अगर इजरायल विस्तार करता है तो गाजा के साथ-साथ वेस्ट बैंक के कुछ इलाके भी इजरायल के कब्जे में आ सकते हैं. ऐसे में युद्ध का विस्तार भी होगा. इस युद्ध में ईरान और समेत कई देश इस युद्ध में हिस्सा ले सकते हैं. जिससे तीसरे विश्व युद्ध का खतरा और बढ़ सकता है.
ट्रंप के आदेश पर ईरानी जनरल की हुई थी हत्या
हालांकि, ट्रंप खुद को युद्ध विरोधी बताते हैं और कहते हैं उन्होंने अपने कार्यकाल में किसी भी युद्ध में हिस्सा नहीं लिया है, लेकिन सच यह है कि ट्रंप ने ही आईएसआईएस के खिलाफ युद्ध का ऐलान किया था और आईएसआईएस के चीफ नेता अबू अल-बगदादी को मार गिराया था. इतना ही नहीं, ईरान के जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या ट्रंप के आदेश पर हुई थी. कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने इराक में मौजूद अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर रॉकेटों का बौछार कर दिया था, लेकिन अमेरिका और ईरान में सीधी जंग नहीं हुई.
सीधे युद्ध में नहीं हुए हैं शामिल, लेकिन पीछे भी नहीं हटे ट्रंप
ट्रंप एक व्यवसायी हैं, वे हर चीज को व्यवसायिक नजरिए से देखते हैं. इसका एक उदाहरण अफगानिस्तान है, जहां उन्होंने 20 साल से चल रहे जंग को खत्म करने का ऐलान किया और अमेरिकी सैनिक घर वापस लौट गए. अमेरिका की नीति हमेशा से युद्धरत देशों को हथियार बेचने की रही है. ट्रंप भी हथियार बेचने में माहिर हैं. ट्रंप ने अमेरिका का कट्टर दुश्मन संगठन हूतियों से युद्ध करने वाले अरब देशों के साथ उनका 110 मिलियन डॉलर का हथियार सौदा किया था. इसके अलावा वह सऊदी अरब, इजरायल, जॉर्डन और UAE को भी हथियार बेचते रहे.
अगर ऐसा हुआ तो हो सकता है युद्ध का विस्तार
दुनिया में अगर कोई अमेरिका से हथियार खरीदता है तो वो है इजराइल. इजराइल पूरी तरह से अमेरिका पर निर्भर है. अगर गाजा युद्ध को लेकर इजराइल और अमेरिका के बीच मतभेद होता है तो इजराइल अमेरिका से हथियार खरीदना बंद कर सकता है जो अमेरिका कभी नहीं चाहेगा. ट्रंप अपने हथियार बेचने के लिए युद्ध में शामिल होकर युद्ध का विस्तार भी कर सकते हैं.