Attack on Houthis: यमन में मौजूद हूती विद्रोहियों की तरफ से जहाजों पर हमलों की वजह से लाल सागर में तनाव लगातार बढ़ रहा है. यमन के राष्ट्रपति परिषद के उप नेता ने कहा है कि उसके सैन्य बलों को आतंकवादी समूह के खिलाफ जमीनी अभियान शुरू करने के लिए विदेशी मदद की जरूरत है. खासतौर से यमन स्थित विद्रोही समूह ने शुक्रवार सुबह दावा किया कि उनके "नौसेना" बलों ने अदन की खाड़ी में एक अमेरिकी जहाज पर मिसाइल हमला किया. यह हमला सटीक था.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अमेरिकी जहाज पर हमले
हालाँकि, समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूनाइटेड स्टेट्स सेंट्रल कमांड ने कहा है कि जहाज को कोई नुकसान नहीं हुआ और न ही कोई घायल हुआ, क्योंकि मिसाइल जहाज से "चूक" गई. नया अपडेट संयुक्त राज्य अमेरिका की तरफ से हूती एंटी-शिप मिसाइलों के खिलाफ ताजा हमले शुरू करने के एक दिन बाद आया है. लाल सागर में हाल के हूती आतंकवादी हमलों से एशिया और यूरोप के बीच व्यापार प्रभावित हो रहा है, जिससे प्रमुख शक्तियों में चिंता पैदा हो रही है.


हूतियों के खिलाफ अभियान
यमन के उप राष्ट्रपति परिषद के नेता ने बीती रात को हूती विद्रोहियों के खिलाफ अमेरिका और ब्रिटेन के हवाई हमलों के अलावा, जमीनी अभियान का समर्थन करने के लिए विदेशी मदद की जरूरत बताई. एएफपी के हवाले से एदारस अल-जुबैदी ने कहा, "लाल सागर में अंतरराष्ट्रीय नेविगेशन को सुरक्षित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय गठबंधन जरूरी है."


इसलिए हो रहा हमला
लाल सागर में जहाजों पर ईरान-गठबंधन विद्रोही समूह के हमले फिलिस्तीन के सपोर्ट में हैं. हूती विद्रोहियों की मांग है कि इजरायल की तरफ से फिलिस्तीन पर हमले बंद होने चाहिए. लाला सागर में हूती उन सभी जहाजों पर हमले कर रहे हैं जो इजरायल से जुड़े हैं या फिर इजरायली बंदरगाहों पर रुकते हैं.


दुनिया को हो रहा नुकसान
लाल सागर, वह रास्ता है जहां हूती हमले हो रहे हैं, दुनिया के लगभग 15% शिपिंग को संभालता है, जो यूरोप और एशिया को जोड़ने के लिए अहम है. लाल सागर और स्वेज नहर से गुजरने की तुलना में दक्षिण अफ्रीका के केप ऑफ गुड होप के आसपास लंबा रास्ता अपनाने से यात्रा में 10-14 दिन लग सकते हैं. विश्व आर्थिक मंच के अध्यक्ष बोर्गे ब्रेंडे के मुताबिक, हौथी हमलों का वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर नकारात्मक असर पड़ सकता है और भारत जैसे तेल आयातक देशों के लिए तेल की कीमतों में 10-20 डॉलर की बढ़ोतरी होगी.