Haldwani Violence: उत्तराखंड के हलद्वानी में एक "अवैध" मदरसा को गिराए जाने के बाद 8 फरवरी को हुए दंगों के सिलसिले में अब तक 30 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस ने बताया कि, दो मुस्लिम निकायों के एक प्रतिनिधिमंडल ने क्षेत्र का दौरा किया और इल्जाम लगाया कि प्रदर्शनकारियों के साथ धर्म के आधार पर अलग व्यवहार किया जाता है. नैनीताल के सीनियर पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद मीना ने कहा कि ताजा गिरफ्तारियों से अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की कुल संख्या 30 हो गई है, और कहा कि मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को जल्द ही पकड़ लिया जाएगा. 


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पुलिस के साथ हुई झड़प
आपको बता दें कि गुरुवार को, बनभूलपुरा इलाके में एक अवैध रूप से निर्मित मदरसे को गिराए जाने पर हिंसा भड़क गई, स्थानीय लोगों ने नगर निगम के कर्मचारियों और पुलिस पर पत्थर और पेट्रोल बम फेंके, जिससे कई पुलिस कर्मियों को पुलिस स्टेशन में शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके बाद भीड़ ने पुलिस स्टेशन में तोड़फोड़ की. पुलिस के मुतुबाकि, हिंसा में 6 दंगाई मारे गए और पुलिस कर्मियों और मीडियाकर्मियों सहित सौ से ज्यादा घायल हो गए. बनभूलपुरा में कर्फ्यू जारी रहा लेकिन कस्बे के बाहरी इलाकों से कर्फ्यू हटा लिया गया. बनभूलपुरा में दुकानें अभी भी बंद हैं और सड़कें सुनसान हैं.


1100 पुलिसकर्मी तैनात
शहर में लगभग 1,100 सुरक्षाकर्मी पहले से ही तैनात हैं. और, राज्य सरकार ने बनभूलपुरा में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए गृह मंत्रालय से केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की चार कंपनियों की मांग की है- जिनमें से प्रत्येक में लगभग 100 जवान होंगे. मुख्यमंत्री धामी ने विधानसभा में बताया कि दंगा प्रभावित क्षेत्र में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए तत्काल कार्रवाई की है और कुमाऊं आयुक्त इसकी मजिस्ट्रेट जांच कर रहे हैं और अपनी रिपोर्ट 15 दिनों सौंपेंगे.


अब्दुल मलिक फरार
रविवार शाम मीडिया को संबोधित करते हुए एसएसपी मीना ने कहा कि पिछले 24 घंटों में ज्यादातर ताजा गिरफ्तारियां नैनीताल जिले की सीमा के भीतर से की गई हैं. पुलिस अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से बनभूलपुरा पुलिस स्टेशन से कथित तौर पर लूटी गई सात पिस्तौल और 54 जिंदा कारतूस बरामद किए गए. हालांकि मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को अभी गिरफ्तार नहीं किया जा सका है.


पुलिस कार्रवाई की निंदा
रविवार को जमीयत उलेमा-ए-हिंद और जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हल्द्वानी का दौरा किया. जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने हल्द्वानी में पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि प्रतिनिधिमंडल की तरफ से सौंपी गई रिपोर्ट बेहद दर्दनाक है. उन्होंने कहा, "रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस क्रूरता और दुर्व्यवहार की सभी सीमाएं तोड़कर, यहां तक कि दरवाजे तोड़कर और जबरन घरों में घुसकर लोगों को गिरफ्तार कर रही है." उन्होंने इल्जाम लगाया कि पुरुषों और महिलाओं दोनों को परेशान किया जा रहा है.


पुलिस ने किया लाठी चार्ज
उन्होंने कहा, "हमने कल उत्तराखंड के डीजीपी को भी पत्र लिखकर इस ताल्लुक से फौरन ध्यान देने की मांग की है. न केवल निर्दोष नागरिकों के साथ दुर्व्यवहार बल्कि गिरफ्तारियों का जो घृणित सिलसिला शुरू हुआ है, उसे तुरंत रोका जाना चाहिए." मदनी ने कहा कि इस पूरी घटना की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों का प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करना कोई अपराध नहीं है. उन्होंने इल्जाम लगाया कि पुलिस ने नगरपालिका अधिकारियों के खिलाफ स्थानीय निवासियों के विरोध को दबाने के लिए "लाठीचार्ज किया और गोलीबारी शुरू कर दी", जो बुलडोजर के साथ साइट पर पहुंचे थे. 


पुलिस पर इल्जाम
मदनी ने आरोप लगाया कि पुलिस, कानून और व्यवस्था लागू करने के बजाय, "हर जगह मुसलमानों के खिलाफ एक पार्टी बन जाती है" लेकिन दूसरों से जुड़े मामलों में अलग तरह से कार्य करती है. उन्होंने कहा, "विभिन्न समूहों के प्रदर्शनकारियों के बीच धर्म के आधार पर भेदभाव निंदनीय है." इस बीच जमीयत के दूसरे धड़े के प्रमुख मौलाना महमूद मदनी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर हल्द्वानी के हालात पर गहरी चिंता जताई है. उन्होंने विध्वंस को अंजाम देने में जल्दबाजी पर सवाल उठाया और आग्रह किया कि विध्वंस पर एक स्थायी समाधान खोजने की जरूरत है, खासकर धार्मिक स्थलों को शामिल करते हुए.