Ajmer Dargah: अजमेर दरगाह में शिवलिंग होने के मामले पर अदालत के आए निर्देश पर अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि संभल मामले पर भी ऐसा ही हुआ. सुबह याचिका लगाई गई, दोपहर को फैसला आ गया और शाम को कमिश्नर डीएम और प्रशासनिक अमले को लेकर सर्वे करने भी चला गया. रिपोर्ट भी तैयार कर ली गई और उसके दो दिन बाद क्या हुआ सबने देखा.


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अजमेर दरगाह मामले पर रिएक्शन
सरवर चिश्ती ने कहा कि कभी मथुरा तो कभी काशी, बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर हमने कड़वा घुट पी लिया था. यह सोचकर की आगे से ऐसा फिर नहीं होगा. 22 जून को भी मोहन भागवत जी ने कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग तलाश नहीं होना चाहिए. इन सब का पूरा कसूर रिटायर्ड चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का है. जब प्लेसेज़ आफ वरशिप एक्ट के तहत बाबरी मस्जिद के अलावा बाकी सभी धार्मिक स्थलों के स्टेटस आजादी से पहले जैसे ही रखने की बात थी, तो इसे क्यों छेड़ा गया. जहां तक ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की बात है. यह सांप्रदायिक एकता और भाईचारे के साथ अनेकता में एकता का केंद्र रहा है. अफगानिस्तान से लेकर इंडोनेशिया तक यह एक बड़ा आस्था का केंद्र भी है. इसे रोज-रोज इस तरह से तमाशा का केंद्र बनाना सही नहीं है.


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दरगाह ही रहेगी
सरवर चिश्ती के मुताबिक हमने यहां पर बड़े-बड़े दौर देखे हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ. 11 अक्टूबर 2007 को दरगाह के बम ब्लास्ट हुआ. जिसमें हमारे भी लोग मारे गए थे. इससे भी उनका दिल नहीं भरा. पिछले तीन साल से दरगाह को लेकर यह शख्स इसी तरह की बयानबाजी कर रहा है. सदियों पुरानी मस्जिदों में इनको शिवलिंग नजर आता है, लेकिन यह चीज देश हित में नहीं है. ऐसा करने की किसी की मुराद भी पूरी नहीं होगी. यह गरीब नवाज की दरगाह है और इंशाल्लाह आगे भी रहेगी.


दरगाह के उत्तराधिकारी का बयान
दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी सैय्यद नसीरुद्दीन ने अदालते के नोटिस पर कहा है कि हम पुरे घटनाक्रम पर नजर रख रहे हैं. वकीलों से राय लेकर मामला खारिज करने की कोशिश करेंगे. लेकिन देश में मौजूदा समय में परिपाटी बन गई है कि लोग मस्जिदों और दरगाहो को मंदिर घोषित करवाने मे लगे हुए हैं.


क्या है पूरा मामला?
ख्याल रहे कि हिंदू सेना ने दावा किया है कि दरगाह अजमेर में पुराना शिव मंदिर है. इस मामले को लेकर वह अदालत गए. अदालत ने हिंदू सेवा की अर्जी सुनवाई के लिए स्वीकार कर ली है. अदालत ने इस मामले में अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी और पुरातत्व विभाग को को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. इस मामले पर दोबारा 20 दिसंबर को सुनवाई होगी.