अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ाया जा रहा इस्लाम! BJP के एमएलसी को है ये दिक्कत
AMU News: भाजपा के एमएलसी डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह का कहना है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में मुस्लमानों का इतिहास पढ़ाया जा रहा है जो कि गलत है. इसकी जगह पर इसमें भारत का गौरवशाली इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए.
AMU News: उत्तर प्रदेश की अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) एक बार फिर विवादों में आ गई है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में इस्लाम पढ़ाए जाने के खिलाफ विरोध शुरू हो गया है. भारतीय जनता पार्टी के एमएलसी डॉ. मानवेंद्र प्रताप सिंह ने इस पर आपत्ति जताई है. इसके साथ ही उन्होंने इस संबध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को खत लिखा है.
AMU में इस्लाम का इतिहास
मानवेंद्र प्रताप सिंह ने खत में लिखा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग की तरफ से बीए का चार साल के कोर्स, जो कि पिछले साल से शुरू हुआ है, जिसमें कि बीए पहले साल के दोनों सेमेंस्टर में 'हिस्ट्री ऑफ इस्लाम : प्री- इस्लामिक अरेबिया से खलीफा' (661 एडी) और बीए दूसरे सेमेस्टर में 'हिस्ट्री ऑफ इस्लाम : उमैयाद का इतिहास (661एडी) से अब्बासीद के इतिहास' (833 एडी) को एक जरूरी सबजेक्ट के तौर पढ़ाए जाने का फैसला हुआ है.
भारत का इतिहास पढ़ाया जाए
मानवेंद्र का कहना है कि अगर ऐसा रहा तो भारत सरकार की राष्ट्रीय शिक्षा नीति की महत्वाकांक्षी योजना को भी धक्का लगेगा, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र है, और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय केंद्र सरकार की तरफ से चलाई जा रही यूनिवर्सिटी है. इस तरह सिक्ख धर्म, जैन धर्म, हिंदू धर्म का इतिहास किसी यूनिवर्सिटी के पाठ्यक्रम में नहीं पढ़ाया जा रहा है, लेकिन, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में 'इस्लाम' पढ़ाया जाना सरासर गलत है और गलत परंपरा को जन्म देगा. अतः इनके धर्मिक प्रारूप के स्थान पर भारत का गौरवशाली इतिहास राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पढ़ाए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए, और इस्लामिक इतिहास पर फौरन रोक लगाई जाए.
भारत के पैसे से चलती है यूनिवर्सिटी
मानवेंद्र प्रताप सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के स्थान पर इस्लामिक शिक्षा नीति को अपनाने का जो काम किया, वो दुर्भाग्यपूर्ण है. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी चूंकि भारत सरकार के पैसे से चलती है और भारत सरकार धर्मनिरपेक्ष स्वरूप को लेकर चलती है, किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय में धार्मिक विषयों को, धार्मिक इतिहास को पढ़ाए जाने की व्यवस्था पूरे भारत के अंदर नहीं है.