Sambhal Jama Masjid के सर्वे के आदेश से चिंतित हैं महमूद मदनी, कही ये बड़ी बात
Asad Madni on Jama Masjid of Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 550 साल पुरानी शाही जामा मस्जिद को लेकर जिला कोर्ट ने आदेश जारी किया है. जिसमें शाही जामा मस्जिद का सर्वे कराने की बात कही गई है. इस बीच जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने मस्जिद के सर्वे को लेकर बड़ी टिप्पणी की है.
Asad Madni on Jama Masjid of Sambhal: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने संभल की जामा मस्जिद को लेकर उठ रहे विवाद और कोर्ट द्वारा सर्वे के आदेश पर गहरी चिंता व्यक्त की है. मौलाना मदनी ने कहा कि सांप्रदायिक तत्व इतिहास के झूठ और सच को मिलाकर देश की शांति और व्यवस्था के दुश्मन बने हुए हैं.
बाबरी मस्जिद को लेकर क्या कहा?
उन्होंने कहा कि पुरानी कब्रों को खोदकर देश की धर्मनिरपेक्ष नींव को हिलाया जा रहा है. इसके साथ ही ऐतिहासिक संदर्भों को फिर से परिभाषित करने का कोशिश किसी भी तरह से राष्ट्रीय अखंडता के अनुकूल नहीं है. इसके साथ ही मदनी ने याद दिलाया कि देश बाबरी मस्जिद की शहादत को झेल चुका है और अभी भी उसके प्रभावों से जूझ रहा है. इसी पृष्ठभूमि में, पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 लागू किया गया था ताकि देश मस्जिद-मंदिर विवादों का केंद्र न बने.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का दिया हवाला
मदनी ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी बाबरी मस्जिद मामले में फैसला सुनाते हुए इस कानून को अनिवार्य बताया था, लेकिन अदालतें आज इसे नजरअंदाज कर के फैसले दे रही हैं. हर गुज़रते दिन के साथ कहीं न कहीं मस्जिद का विवाद खड़ा किया जा रहा है और फिर 'सच्चाई जानने' के नाम पर न्यायालयों से सर्वे की इजाजत ली जाती है. इसके बाद इस सर्वे को मीडिया द्वारा दो समुदायों के बीच दीवार बनाने के लिए का इस्तेमाल किया जाता है.
कोर्ट को भी दी नसीहत
उन्होंने आगे कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन न्यायालयों को फैसला लेते वक्त यह जरूर देखना चाहिए कि देश और समाज पर इसके क्या प्रभाव पड़ेंगे. मौलाना मदनी ने आशा व्यक्त की मस्जिद इंतेजामिया कमेटी जामा मस्जिद की रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करेगी.
देश के नागरिकों से की ये अपील
इसके साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि अगर आवश्यकता पड़ी, तो जमीअत-ए-उलमा हिंद कानूनी कार्रवाई में सहायता देने के लिए तैयार है. जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने देश के सभी नागरिकों से कानून-व्यवस्था की स्थापना के लिए धैर्य और सहनशीलता बनाए रखें और ऐसा कोई कदम न उठाएं जिससे संप्रदायिक शक्तियों के षड्यंत्र कामयाब हों.