UCC in Assam: असम के कैबिनेट मंत्री जयंत मल्लबरुआ ने शनिवार को कहा कि विधानसभा में समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक पेश करने को लेकर कैबिनेट की बैठक में कोई फैसला नहीं लिया गया. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "कैबिनेट की बैठक में कई चीजों पर चर्चा हुई. कुछ ऐसे मामले सामने आए, जो बैठक की एजेंडा सूची में नहीं थे. लेकिन राज्य में UCC पर विधेयक लाने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया." मल्लबरुआ ने कहा, "मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने UCC और बहुविवाह पर प्रतिबंध के बारे में अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है. बहुविवाह प्रतिबंध से संबंधित एक विधेयक जल्द ही विधानसभा में पेश किया जाएगा."


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आपको बता दें कि उत्तराखंड विधानसभा में बीते बुधवार को ध्वनिमत से समान नागरिक संहिता विधेयक पास हो गया. इस तरह से उत्तराखंड पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने UCC बिल पास किया है. इस बिल को विपक्ष ने प्रवर समिति के पास भेजने की सिफारिश की थी लेकिन इसे धवनिमत से पास कर दिया गया. जल्द ही ये विधेयक राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा. इसके बाद यह विधेयक कानून बन जाएगा. 


इस विधेयक पर कई मुस्लिम नेताओं ने बयान दिया था और इसे मुस्लिम मुखालिफ बताया था. AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा था कि "यूसीसी संवैधानिक मुद्दा है. मोदी सरकार ने SC में कहा कि UCC केवल संसद के जरिए अधिनियमित किया जा सकता है. यह विधेयक शरिया अधिनियम, हिंदू विवाह अधिनियम, एसएमए, आईएसए आदि जैसे केंद्रीय कानूनों का खंडन करता है. राष्ट्रपति की सहमति के बिना यह कानून कैसे काम करेगा?"


उत्तराखंड में लागू यूसीसी इसलिए ज्यादा चर्चा में है क्योंकि इसमें बहुविवाह को प्रतिबंधिक किया गया है. इसके अलावा वरासत के बारे में जो बातें कही गई हैं उस पर भी लोगों की आपत्ति है. शादी से पहले लिव इन में रहने वाले पार्टनर्स के बारे में जो गाइडलाइन जारी की गई है वह भी जेरे बहस है.