शम्सी शाही मस्जिद या निलकंठ मंदिर, संभल के बाद बदायूं के मस्जिद पर दावा, 3 दिसंबर को होगी सुनावई?
Badaun Jama Masjid: बदायूं में जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर मामले मे आज फास्ट ट्रेक कोर्ट मे सुनवाई हुई. बहस में मस्जिद इंतज़ामिया कमेटी की तरफ से पक्ष रखा गया. इस मामले में अब अगली सुनवाई तीन दिसंबर को मुकर्रर की गई है.जानिए पूरी खबर...
Badaun Jama Masjid: उत्तर प्रदेश में मस्जिदों और दरगाहों पर विवाद जारी है. संभल में शाही जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर और अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा इन दिनों काफी सुर्खियो में हैं. इसी बीच, अब बदायूं की जामा मस्जिद के नीलकंठ महादेव मंदिर होने के वाद की पोषणीयता (सुनवाई योग्य) पर शनिवार को सुनवाई हुई. अदालत ने इस मामले में अगली सुनवाई के लिए 3 दिसंबर 2024 की तारीख मुकर्रर की है. सिविल लजज (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार की अदालत ने इस मामले में मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील की दलीलें सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई की तारीख तय की.
वहीं, अदालत में पेश ASI की रिपोर्ट के बुनियाद पर मुकदमे में सरकार की तरफ से बहस पूरी हो चुकी है. शम्सी शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी के वकील असरार अहमद ने दावा किया कि मस्जिद करीब 850 साल पुरानी है और वहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है और हिंदू महासभा को इस मामले में पिटीशन दायर करने का अधिकार ही नहीं है.अदालत में पेश हुए वादी फरीक के वकील विवेक रेंडर ने कहा कि उन्होंने मंदिर में पूजा-अर्चना की इजाजत के लिए अदालत में ठोस सबूत के साथ पिटीशन दायर की है और यह याचिका की पोषणीयता को लेकर आज मस्जिद कमेटी ने अपनी दलीलें दीं.
हिन्दू पक्ष ने किया है ये दावा
दरअसल, यह मामला 2022 में तब शुरू हुआ जब अखिल भारत हिंदू महासभा के संयोजक मुकेश पटेल और अन्य ने अदालत दावा किया कि बदायूं शहर में मौजूद जामा मस्जिद की जगह पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर था. हिन्दू पक्ष ने अदालत में पिटीशन में दायर कर यहां पूजा-अर्चना की इजाजत मांगी. उन्होंने दावा किया है कि मस्जिद की मौजूदा स्ट्रक्चर नीलकंठ महादेव के प्राचीन मंदिर को ध्वस्त करके बनाई गई है.
मस्जिद कमेटी का यह है दावा
वहीं, मस्जिद के इंतजामिया कमेटी ने हिन्दू पक्ष के इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि जामा मस्जिद शम्सी करीब 840 साल पुरानी है. इस मस्जिद का निर्माण शमसुद्दीन अल्तमश ने करवाया था और यहां मंदिर का कोई अस्तित्व नहीं है.
मुस्लिम पक्ष के वकील ने क्या कहा?
इस मामले में आज इंतज़ामिया कमेटी की तरफ से पक्ष रखा गया था. इंतज़ामिया कमेटी के वकील अनवर आलम का कहना है कि यह मुकदमा चलने योग्य नहीं है इसको ख़ारिज किया जाना चाहिए, क्योंकि यह प्लेस ऑफ़ वोरशिप एक्ट के खिलाफ है. इस तरह के केसों से मुल्क माहौल ख़राब होता है. वहीं, इसपर वादी मुकेश पटेल का कहना है हम पूरे सबूतों के साथ कोर्ट में गए हैं और हर सवाल का जवाब हमारे पास है. हमें हमारा हक़ मिलेगा. सरकार की तरफ से पुरातत्व विभाग पहले ही कोर्ट मे जा चुका है.
संभल हिंसा में चार लोगों की हुई मौत
बदायूं मस्जिद की सुनवाई ऐसे वक्त में हो रही है जब यूपी के संभल में पिछले सप्ताह शाही मस्जिद के सर्वे के दौरान हिंसा भड़की थी. मस्जिद के सर्वे के दौरान 24 नवंबर को प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में हो गई थी, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गयी थी और 25 अन्य जख्मी हो गये थे.