Bhojshala Survey: मुस्लिम पक्ष को लगा बड़ा झटका, HC ने ASI सर्वे के लिए दिया 8 हफ्तों का वक्त
Bhojshala Survey: भोजशाला को हिंदू समुदाय मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष मस्जिद बताता है. यह भोजशाला कैंपस ASI के जरिए संरक्षित है. `हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस` की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ASI को 6 सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था.
Bhojshala Survey: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने ASI को धार के भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद कैंपस का जारी सर्वे पूरा करने के लिए 8 हफ्तों की मोहलत दी है. हाईकोर्ट की इंदौर पीठ के जस्टिस एसए धर्माधिकारी और गजेंद्र सिंह ने ASI की अर्जी मंजूर करते हुए आज यानी 29 अप्रैल को यह मोहलत दी है.
युगल पीठ ने सभी संबंधित पक्षों की दलीलों पर गौर के बाद ASI को आदेश दिया कि वह विवादित कैंपस के सर्वे की संपूर्ण रिपोर्ट दो जुलाई तक पेश करे. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ASI को सर्वे पूरा करने के लिए और वक्त नहीं दिया जाएगा. कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए चार जुलाई की अगली तारीख तय की है. वहीं, ASI, भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में महीने भर से ज्यादा वक्त से सर्वे में जुटा है. उसने यह कवायद पूरी करने की मोहलत के वास्ते हाईकोर्ट में दायर अर्जी में कहा कि इस कैंपस की संरचनाओं के उजागर हिस्सों की प्रकृति को समझने के लिए उसे कुछ और वक्त की दरकार है.
मुस्लिम पक्ष कोर्ट में जताई आपत्ति
उधर, मुस्लिम पक्ष की मौलाना कमालुद्दीन वेलफेयर सोसायटी की तरफ से एएसआई की इस गुहार पर कोर्ट में आपत्ति जताई गई.सोसायटी ने दावा किया कि ASI विवादित परिसर में इस तरह खुदाई कर रहा है ,जिससे सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन हो रहा है. हाईकोर्ट ने तथ्यों पर गौर के बाद सोसायटी की इस आपत्ति को खारिज कर दिया और कहा कि अगर ऐसा कोई उल्लंघन हो रहा है, तो संबंधित प्रतिवादी उचित फोरम का रुख करने के लिए स्वतंत्र है.
कोर्ट ने दिया था ये आदेश
भोजशाला को हिंदू समुदाय मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष मस्जिद बताता है. यह भोजशाला कैंपस ASI के जरिए संरक्षित है. "हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस" की अर्जी पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 11 मार्च को ASI को 6 सप्ताह के भीतर भोजशाला परिसर का वैज्ञानिक सर्वे करने का आदेश दिया था. इसके बाद ASI ने 22 मार्च से भाजशाला परिसर का सर्वे शुरू किया था, जो लगातार जारी है. भोजशाला को लेकर विवाद शुरू होने के बाद ASI ने 7 अप्रैल 2003 को एक आदेश जारी किया था.