Delhi Riots: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली दंगों से जुड़े UAPA मामले में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के स्टूडेंट यूनियन के पूर्व चीफ शिफा-उर-रहमान की की जमानत पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया है. इसके साथ ही कोर्ट ने जल्द सुनवाई वाली उनकी याचिका को खारिज कर दी है. जस्टिस नवीन चावला और न्यायमूर्ति शैलिंदर कौर की खंडपीठ ने 21 अक्टूबर को अपने आदेश में जल्द सुनवाई की गुजारिश स्वीकार करने से इनकार कर दिया. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि तय तारीख पर इस मामले की सुनवाई की कोशिश की जाएगी.


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कोर्ट ने क्या कहा?
पीठ ने कहा, ‘‘इस (मामले के) बोर्ड की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए यह अनुरोध स्वीकार करना मुमकीन नहीं है. अपील पहले से ही 25 नवंबर, 2024 को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है, उसी दिन इस पर सुनवाई करने की कोशिश की जाएगी. इसलिए, अर्जी खारिज की जाती है."


अब कब होगी सुनवाई
उच्च न्यायालय ने सात अक्टूबर को रहमान की जमानत याचिका को मामले के अन्य सह-आरोपियों- उमर खालिद और शरजील इमाम- की इसी तरह की याचिकाओं के साथ 25 नवंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया था. रहमान ने जून, 2022 में निचली अदालत के एक आदेश को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था, जिसपर तीन जून, 2022 को दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया गया था. निचली अदालत ने रहमान को जमानत देने से इनकार कर दिया था. निचली अदालत ने सात अप्रैल, 2022 को रहमान की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उनके खिलाफ आरोप पहली नजर में सच है.


दिल्ली पुलिस ने क्या दी दलील
दिल्ली पुलिस ने कहा है कि कथित साजिश और दंगों में उनकी भूमिका दर्शाने वाली पर्याप्त सबूत मौजूद है. जमानत संबंधी याचिकाओं की सुनवाई पहले जस्टिस सुरेश कुमार कैत के जरिए की जा रही थी, जिन्हें हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में पदोन्नत किया गया है. 


क्या है पूरा मामला
रहमान, खालिद, इमाम और कई दूसरे लोगों पर भारतीय दंड संहिता के अलावा यूएपीए के कड़े प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि उन पर फरवरी 2020 के दंगों के पीछे ‘बड़ी साजिश’ के 'मास्टरमाइंड' होने का आरोप है. दंगे में 53 लोग मारे गए थे और 700 से ज्यादा जख्मी हुए थे. नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी.