Delhi Riots 2020: दिल्ली की एक अदालत ने फरवरी 2020 में दंगों के दौरान पूर्वोत्तर दिल्ली के दयालपुर इलाके में तोड़फोड़ करने और दुकानों और वाहनों को जलाने के आरोपी सात लोगों को बरी कर दिया है. कड़कड़डूमा कोर्ट ने 28 फरवरी को आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि उनकी पहचान स्थापित नहीं की जा सकी. वहीं, कोर्ट ने एक पुलिस कांस्टेबल की गवाही को भी अविश्वसनीय बताया है. 


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कोर्ट ने यह भी कहा कि घटनाओं के पीछे की भीड़ की पहचान तक नहीं हो पाई है. कथित तौर पर, दो समुदायों की दो भीड़ थी. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) पुलस्त्य प्रमाचला ने शकील, हबीब रजा और मोहम्मद यामीन, उस्मान, शाहिद, मोहम्मद फुरकान और मोहम्मद इरशाद को  बरी कर दिया, क्योंकि शिकायतकर्ता की गवाही में विरोधाभास थे.


जस्टिस एएसजे प्रमाचला ने 28 फरवरी को पारित फैसले में कहा, "सभी रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत किसी भी आरोपी व्यक्ति को दंगाइयों की भीड़ का हिस्सा दिखाने के लिए किसी भी टिकाऊ और प्रेरक सबूत की मदद से इंगित करने में विफल रहता है. रिकॉर्ड पर मौजूद सबूत भी उस भीड़ की पहचान स्थापित करने में विफल रहे, जो वास्तव में इस मामले में जांच की गई तीन घटनाओं के पीछे थी."


कोर्ट ने गवाहों पर उठाए सवाल
इसके साथ ही कोर्ट ने पुलिस गवाहों से पूछताछ न किए जाने पर भी सवाल उठाए. इसमें कहा गया कि कांस्टेबल पवन से कोर्ट के समक्ष पूछताछ नहीं की गई और यह ज्ञात नहीं है कि उसने आरोपियों फुरकान और इरशाद को कहां देखा था. न्यायाधीश ने कहा, "आरोंपी व्यक्तियों के कहने पर कथित तौर पर बरामद पिस्तौल और डंडा की कोई प्रासंगिकता नहीं है."


कोर्ट ने क्या कहा?
कोर्ट ने आगे कहा, "अभियोजन पक्ष के गवाह दुली चंद पाल (शिकायतकर्ता) ने उस स्थान पर दो भीड़ सक्रिय होने का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है कि यह इन दो भीड़ में से कोई भी हो सकती है, जिसने उसकी दुकान में तोड़फोड़ की और आग लगा दी. हालांकि दुली चंद ने गवाही दी कि वह ऊपर अपने घर गया था और दंगाइयों ने उसकी दुकान का शटर तोड़ दिया, तोड़फोड़ की और आग लगा दी, लेकिन उसने इस विशेष भीड़ की पहचान भी नहीं बताई है."


क्या है पूरा मामला
दरअसल, साल 2020 में दिल्ली में दंगा हुआ था. जिसमें कई लोगों की मौत हुई थी. दंगा के बाद कई जगहों पर आगजनी हुई थी, जिसमें 4 मार्च, 2020 को दुली चंद पाल की लिखित शिकायत पर मुकदमा दर्ज की गई थी. उन्होंने आरोप लगाया था कि 22 फरवरी को शाम करीब 4 बजे एक दंगाई भीड़ ने मेन रोड, बृजपुरी मौजूद उनकी "अनिल पेस्ट्री शॉप" को लूटने के बाद आग लगा दी. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उन्हें लगभग 10-12 लाख रुपये का वित्तीय नुकसान हुआ. इसके बाद इन आरोपी व्यक्तियों पर धारा 147/148/149/427/435/436/120-बी आईपीसी और 25/54/59 शस्त्र अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध करने के लिए दिल्ली पुलिस द्वारा आरोप पत्र दायर किया गया था.