Delhi Waqf Board Imam Salary Issue: दिल्ली वक्फ बोर्ड की अलग-अलग मस्जिदों के तकरीबन 280 इमामों और मुअज्जिनों की हालत खस्ता है. पिछले 17 महीनों से सैलरी नहीं मिलने पर इमाम और मुअज्जिन दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं. पेरशान हाल लोग कभी दिल्ली वक्फ बोर्ड के सामने सड़क पर अपना हक मांगने के लिए आवाज़ उठाते हैं तो कभी बोर्ड का दरवाजा खटखटाते हैं. दिल्ली हाई कोर्ट में अपने हक के लिए वो हाथ जोड़ते फिर रहे हैं. इमाम और मुअज्जिन पिछले तकरीबन 17 महीनों से सैलरी से महरूम हैं. न तो उन्हें सैलरी मिली है और न ही उनका कोई दर्द सुनने वाला है.


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इमामों और मुअज्जिनों को सिर्फ तसल्ली मिली है. इतना ही नहीं वक्फ बोर्ड के चेयरमैन अमानतुल्लाह खान का वक्फ बोर्ड का कार्यकाल भी पूरा हो चला है लेकिन अमानतुल्लाह खान ने भी बोर्ड के इमामों और मुअज्जिनों की सैलरी के लिए कुछ नहीं किया. वहीं, दिल्ली माइनॉरिटी कमीशन के चेयरमैन जाकिर खान का भी कार्यकाल पूरा हो चुका है. अब इन बेसहारा इमामों और मुआज्जिनों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं बचा है. आपको बता दें कि जमीयत उलेमा ए हिंद के दिल्ली स्टेट के सद्र और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील महमूद प्राचा इमामों और मुअज्जिनों की सैलरी को लेकर लगातार फाइट कर रहे हैं.


 


दिल्ली के एक बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने वीडियो के जरिए ये बात कही गई थी कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के इमामों और मुअज्जिनों की सैलरी 42 हजार है, जबकि इमामों की सैलरी 18000 और मुअज्जिनों की सैलरी सिर्फ 16000 है. इस महंगाई के दौर में इमामों और मुअज्जिनों को अपने परिवारों का पालन पोषण करने में बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. अब हालत ये है कि पिछले 17 महीनों  से दिल्ली वक्फ बोर्ड के इमामों और मुअज्जिनों को सैलरी नहीं मिली है. सैलरी नहीं मिलने की वजह से उनके सामने रोजी-रोटी का मसला पैदा हो गया है. वही दिल्ली के सांसद परवेश वर्मा के वीडियो का जवाब देते हुए दिल्ली जमीयत उलेमा ए हिंद के सद्र मोहम्मद आबिद क़ासमी ने कहा कि ये इमाम दिल्ली सरकार से नहीं बल्कि अपने पूर्वजों की वक्फ की हुई मस्जिदों में इमामत कर रहे हैं और अपना हक वक्फ बोर्ड से लेते हैं.


Report- Changez Ayyuby


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