Bilkis Bano Case: गुजरात सरकार ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो बलात्कार मामले में 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को खारिज करने के फैसले में राज्य के खिलाफ कुछ टिप्पणियों को अनुचित बताते हुए उसे हटाने का अनुरोध किया है. बिलकीस बानो से बलात्कार और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार के खिलाफ बयान दिए थे.


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गुजरात सरकार
गुजरात सरकार ने अर्जी में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आठ जनवरी का फैसला साफ तौर पर गलती वाला था, जिसमें राज्य को ‘‘अधिकार हड़पने’’ और ‘‘विवेकाधिकार का दुरुपयोग’’ करने का दोषी ठहराया गया था. याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य समन्वय पीठ ने मई 2022 में गुजरात राज्य को ‘‘उपयुक्त सरकार’’ ने कहा था और राज्य को 1992 की छूट नीति के मुताबिक दोषियों में से एक के माफी आवेदन पर फैसला लेने की हिदायत दी थी. पुनर्विचार याचिका में कहा गया है, ‘‘13 मई, 2022 (समन्वय पीठ के) के फैसले के विरोध में समीक्षा याचिका दायर नहीं करने के लिए गुजरात राज्य के खिलाफ ‘‘अधिकार हड़पने’’ का कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है.’’ 


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सांठगांट का इल्जाम
याचिका के मुताबिक अदालत ने कठोर टिप्पणी की कि गुजरात राज्य ने ‘मिलीभगत से काम किया और प्रतिवादी नंबर तीन/आरोपी के साथ साठगांठ की.’ याचिका में कहा गया कि यह टिप्पणी न केवल अनुचित है और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है, बल्कि याचिकाकर्ता-गुजरात राज्य के बारे में गंभीर पूर्वाग्रह पैदा किया है.’’


क्या है मामला?
ख्याल रहे कि साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिल्कीस बनों का गैंगरेप किया गया था. इसके साथ ही उनके परिवार के 7 लागों का कत्ल कर दिया गया था. इस मामले में 11 लोगों को उम्रकैद की सजा हुई थी. लेकिन साल 2022 में छूट नीति के तहर इन दोषियों को रिहाई दे दी गई. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोषियों को दोबारा जेल में डाला गया.


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