Gyanvapi Masjid Update: Gyanvapi Masjid केस से जुड़ी बड़ी खबर सामने आई है.  उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिला अदालत ने बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद के अहाते में वाके व्यास जी के तहखाने में हिंदुओं को पूजा—पाठ करने का अधिकार देने का हुक्म दे दिया है.  हिंदू पक्ष के वकील मोहन यादव ने इसकी तस्दीक करते हुए बताया कि जिला न्यायाधीश अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने तहखाने में पूजा-पाठ करने का अधिकार व्यास जी के नाती शैलेन्द्र पाठक को दे दिया है. उन्होंने बताया कि इंतजामिया सात दिन के अंदर पूजा—पाठ कराने की व्यवस्था करेगा और पूजा कराने का कार्य काशी विश्वनाथ ट्रस्ट करेगा. यादव ने बताया कि ज्ञानवापी के सामने बैठे नंदी महाराज के सामने से रास्ता खोला जाएगा.


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दरअसल, व्यास परिवार ने कोर्ट में मस्जिद के तहखाने में पूजा पाठ करने की मांग की थी. इस मांग को जिला जज कोर्ट ने एक्सपेट कर लिया था. इस पिटीशन में दलील दी गई थी कि सोमनाथ व्यास का परिवार 1993 तक मस्जिद के तहखाने में पूजा करता था. हालांकि, 1993 में राज्य सरकार के आदेश के बाद तहखाने को बंद कर दिया गया था. इसके बाद तहखाने को जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया था.


वहीं,  इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राखी सिंह की याचिका पर ज्ञानवापी मस्जिद की अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को 31 जनवरी को नोटिस जारी किया है. वादी राखी सिंह ने वाराणसी की कोर्ट के जरिए 21 अक्टूबर 2023 को सुनाए गए उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भीतर कथित शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का भारतीय पुरातत्व सर्वे (एएसआई) से सर्वे कराने का निर्देश देने से मना कर दिया था. 


कोर्ट ने मस्जिद कमेटी को जारी किया नोटिश
अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद कमेटी को यह नोटिस जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की कोर्ट के जरिए जारी किया गया है. राखी सिंह, श्रृंगार गौरी पूजा अर्चना मुकदमे में वादकारियों में से एक है और यह मुकदमा वाराणसी की जिला कोर्ट में लंबित है. वाराणसी की कोर्ट में दाखिल अपनी पिटीशन में राखी सिंह ने प्राथमिक दलील दी थी कि विवादित संपत्ति का धार्मिक चरित्र तय करने के लिए शिवलिंग को छोड़कर वुजूखाना का सर्वे कराना जरूरी है. 


राखी सिंह की पिटीशन खारिज करते हुए क्या बोले जिला जज?
राखी सिंह की पिटीशन खारिज करते हुए वाराणसी के जिला जज ने अपने आदेश में कहा था कि 17 मई 2022 को ने सुप्रीम कोर्ट उस इलाके का उचित संरक्षण का निर्देश दिया था, जहां कथित शिवलिंग पाया गया था. इसलिए एएसआई को उस इलाके का सर्वे करने का निर्देश देना उचित नहीं है, क्योंकि इससे सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा. इससे पूर्व, 23 जनवरी को न्यायमूर्ति मनीष निगम ने इस मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. 


इसके बाद, CJI के जरिए इस मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल को नामित किया गया है. वाराणसी कि जिला कोर्ट ने पिछले साल, 21 जुलाई को एएसआई को पूरी वैज्ञानिक सर्वे का निर्देश दिया था. इसमें यह पता लगाया जाना है कि क्या काशी विश्वनाथ मंदिर के पास में मौजूद ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण, एक मंदिर के ऊपर किया गया है या नहीं.