Haldwani Violence: हलद्वानी में मौजूद बनभूलपुरा हिंसा में मुल्जिम पिता-पुत्र अब्दुल मलिक और अब्दुल मोईद के घरों को शुक्रवार को अधिकारियों ने कुर्क कर लिया. अतिक्रमण विरोधी अभियान के तहत कथित तौर पर मदरसा गिराए जाने के बाद हलद्वानी के बनभूलपुरा में हिंसा भड़कने के एक हफ्ते बाद यह बात सामने आई है. हिंसा के बाद से अब्दुल मलिक और उनका बेटा मौके से फरार है. पुलिस उन्हें पकड़ने के लिए अभियान चला रही है. कुर्की के दौरान हरबंस सिंह एसपी सिटी हल्द्वानी, संगीता सीओ लालकुआं, सचिन तहसीलदार हल्द्वानी, डीआर वर्मा प्रभारी निरीक्षक लालकुआं, नंदन सिंह रावत थानाध्यक्ष कालाढूंगी समेत पुलिस और प्रशासन की टीमें मौके पर मौजूद रहीं.


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संपत्ति जब्त करने का आदेश
इससे पहले, हल्द्वानी सिविल कोर्ट ने हिंसा के कथित मास्टरमाइंड अब्दुल मलिक और उनके बेटे समेत नौ उपद्रवियों की संपत्ति जब्त करने के आदेश जारी किए थे. कोर्ट ने पुलिस को सभी आरोपियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82, और 83 के तहत कार्रवाई करने की इजाजत दे दी है. इससे पहले मंगलवार को सिविल कोर्ट ने सभी नौ आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था.


2.44 करोड़ रुपये का वसूली नोटिस
यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब कुछ ही दिन पहले यहां नगर निगम ने हलद्वानी में हुई हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक के खिलाफ 2.44 करोड़ रुपये का वसूली नोटिस जारी किया था, जिसमें उसे झड़प के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुकसान की भरपाई के लिए पैसे जमा करने के लिए कहा गया था. हिंसा के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राज्य में 'उपद्रवियों' के लिए कोई जगह नहीं है. 


30 लोग गिरफ्तार
इससे पहले, उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार ने जोर देकर कहा कि हालिया "हिंसक" झड़पें "सांप्रदायिक" नहीं थीं. हलद्वानी में हुई हिंसा के सिलसिले में 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. झड़पों और हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई और दर्जनों लोग घायल हो गए. पुलिस ने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों के पास से कई देशी हथियार और जिंदा कारतूस बरामद किए गए. राज्य सरकार ने केंद्र से जिले में अर्धसैनिक बलों की चार अतिरिक्त कंपनियां तैनात करने की मांग की थी. 


इसलिए हुई थी हिंसा
प्रशासन द्वारा बनभूलपुरा में अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाने के बाद हिंसा भड़क उठी. पथराव की घटनाओं, वाहनों में आग लगाने और भीड़ द्वारा स्थानीय पुलिस थाने को घेरने के बाद प्रशासन ने देखते ही गोली मारने का आदेश जारी किया था.