Hapur News: हाल के दिनों में मुसलमानों के खिलाफ खूब जहर उगला जा रहा है. पहले बीजेपी के नेता सत्ता में बने रहने के लिए मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते थे, लेकिन अब नेताओं के साथ-साथ धर्मगुरु भी मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलने से बाज नहीं आ रहे हैं. अब हालात ये हो गए हैं कि ये आम बात हो गई है. नेताओं और धर्मगुरुओं की बातों का असर आम लोगों पर भी पड़ने लगा है. हर जगह मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार की मुहिम चलाई जा रही है. 


हापुड़ में आर्थिक बहिष्कार का आह्वान


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इसी सिलसिले में उत्तर प्रदेश के हापुड़ में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया है, जहां हिंदू संगठनों के लोगों ने मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी की है और मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान भी किया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि एक जगह पर भीड़ जमा है. जहां मुसलमानों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है और साथ ही मुसलमानों के पूर्ण आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया जा रहा है. 


यहां देखें वीडियो



इतना ही नहीं, इस वीडियो में हिंदुत्व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने वहां मौजूद लोगों को काशी और मथुरा की मस्जिदों को ‘आजाद’ कराने की शपथ भी दिलाई. यह वीडियो 6 जनवरी को सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई हिंदू बहुल राज्यों में मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार के मामले सामने आ चुके हैं. 


महाकुंभ में मुसलमानों का बहिष्कार
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. इस मेले में भी मुसलमानों का आर्थिक बहिष्कार किया जा रहा है. यहां बाबाओं की फौज है, जो दुकानदारों के आधार कार्ड चेक करने के साथ उनका नाम और जाति भी पूछ रहे हैं. इस दौरान वे कह रहे हैं कि अगर वे हिंदू हैं तो कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन अगर कोई मुसलमान पकड़ा गया तो कह रहे हैं कि उसे बख्शा नहीं जाएगा. संत गुस्से में कह रहे हैं कि अगर हम हिंदू मक्का मदीना नहीं जाते तो मुसलमान महाकुंभ में क्या करते हैं. चेकिंग के दौरान संतों ने मुस्लिम दुकानदारों के बारे में बताने पर इनाम भी रखा है. अगर कोई मुस्लिम दुकानदार की पहचान बताता है तो बताने वाले को इनाम दिया जाएगा.


हिमाचल के गांव में मुसलमानों का बहिष्कार
हाल ही में हिमाचल प्रदेश के एक गांव में कश्मीरी व्यापारियों को धमकाया गया कि वे इस गांव में अपना सामान न बेचें. इसके साथ ही इन व्यापारियों के साथ मारपीट भी की गई. जिसके बाद भारी विवाद हुआ था. इतना ही नहीं, देश में कई ऐसे हिंदूवादी संगठन है, जो एक ग्रुप बनाकर मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाते हैं और उनका आर्थिक बहिष्कार का भी मुहिम चलाते हैं.


नूंह हिंसा के बाद पूर्ण बहिष्कार का आह्वान
नूंह हिंसा के बाद हिंदू समाज की महापंचायत में गुरुग्राम के हिंदू संगठनों ने एकमत होकर मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान किया था. इस दौरान जिले में कर्फ्यू भी लगाया गया था. इसके बावजूद महापंचायत बुलाकर सभी निवासियों से मुसलमानों को कमरे किराए पर न देने और उन्हें नौकरी या रोजगार न देने की अपील की गई थी। इतना ही नहीं हिंदू बहुल इलाकों से मस्जिदों को हटाने की बात कही गई थी.


पूर्व सांसद ने की थी आर्थिक बहिष्कार का आह्वान
भाजपा नेताओं और कई धर्मगुरुओं ने भी मुसलमानों के आर्थिक बहिष्कार का आह्वान किया है. इसमें सबसे पहला नाम बीजेपी के पूर्व सांसद और दिल्ली विधानसभा इलेक्शन में भाजपा कैंडिडेट प्रवेश वर्मा का है. जिन्होंने साल 2022 में 10 अक्तूबर को दिल्ली में एक सार्वजनिक मंच से भाषण के दौरान मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार की अपील की थी. पूर्व सांसद ने कहा था, "अगर किसी खास समुदाय (मुसलमानों) का दिमाग और स्वास्थ्य सुधारना है तो उनका पूरी तरह से बहिष्कार करें. रेहड़ी-पटरी वालों और दुकानों से कोई सामान न खरीदें और उनका आर्थिक बहिष्कार करें. जब उन्हें पैसे मिलने बंद हो जाएंगे तो यह समुदाय अपने आप लाइन में आ जाएगा."


यति नरसिंहानंद सरस्वती कर चुका है ये ऐलान
वहीं दूसरी तरफ धर्मगुरु यति नरसिंहानंद सरस्वती हमेशा हिंदू और मुसलमानों के बीच जहर के बीज बोते रहते हैं. वह आए दिन मुसलमानों के खिलाफ विवादित और आपत्तिजनक बयान देते रहते हैं. इस धर्मगुरु ने कई बार मुसलमानों के नरसंहार और आर्थिक बहिष्कार का आह्वान भी किया है. यति नरसिंहानंद सरस्वती ने कई बार खुले मंच से पैगंबर मोहम्मद साहब पर भी आपत्तिजनक टिप्पणी की है.