Shimla News: हिमाचल प्रदेश में पिछले कई महीनों से मस्जिदों को लेकर विवाद जारी है. शिमला के संजौली मस्जिद विवाद के बीच कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने शहरी विकास और नगर निगम के साथ बैठक कर उत्तर प्रदेश की तर्ज पर रेहड़ी-फेड़ी वालों को पहचान के लिए नाम और आईडी लगाने के निर्देश पारित किए थे.  अब इस मामले में हाईकोर्ट ने बुधवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) स्वीकार कर हिमाचल प्रदेश के गृह सचिव , शिमला नगर निगम, डीजीपी और शिमला एसपी को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है. वहीं इस मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को तय की है.


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याचिकाकर्ता पीआईएल में मालिकों की व्यक्तिगत जानकारी के अनिवार्य प्रदर्शन के संबंध में निर्देशों को रद्द करने की मांग की. शिमला नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पवार द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सत्येन वैद्य की बेंच ने सचिव (गृह), शिमला नगर निगम, डीजीपी और शिमला एसपी को नोटिस जारी किया और तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश सुनाया.


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याचिकाकर्ता ने निजी जानकारी के खुलासे को अनिवार्य करने वाले निर्देशों को वापस लेने से जुड़े स्पष्टीकरण जारी करने, शिमला में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखने को सुनिश्चित करने, सोशल मीडिया समेत सभी माध्यमों पर नफरत भरे भाषण और हिंसा भड़काने को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाने के लिए सरकार को निर्देश देने की भी गुहार लगाई.


राज्य सरकार ने विक्रमादित्य के निर्देश से खुद को किया अलग
इससे पहले सितंबर में हिमाचल लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा था कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर रेहड़ी-पटरी वालों, खासतौर पर फूड आइटम बेचने वालों के लिए अपना पहचान पत्र (नेमप्लेट) प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा. हालांकि, राज्य सरकार ने विक्रमादित्य सिंह के इस निर्देश से दूरी बनाते हुए कहा कि विक्रेताओं द्वारा नेमप्लेट या अन्य पहचान प्रदर्शित करने पर अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है.


याचिकाकर्ता ने अदालत से की ये प्रार्थन
याचिकाकर्ता पूर्व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पवार ने राज्य के ग्रामीण विकास और  पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और देव भूमि संघर्ष समिति के चेयरमैन को प्रतिवादी बनाया था, लेकिन उन्हें नोटिस नहीं दिया गया . पवार ने सांप्रदायिक धमकी, उत्पीड़न और हिंसा को रोकने के उपाय करने के लिए हिमाचल के हर एक  जिले में एक सीनियर पुलिस अफसर को नोडल अधिकारी के रूप में नामित करने और सांप्रदायिक धमकी देने की संभावना वाले लोगों के बारे में खुफिया रिपोर्ट प्राप्त करने के लिए एक स्पेशल टास्क फोर्स का गठन करने के लिए निर्देश देने की भी प्रार्थना की.