Krittivaseshwar-Alamgir Masjid: अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद खत्म होने के बाद एक और विवाद खड़ा हो गया है. ताजा विवाद काशी का है. हिन्दू संगठनों का कहना है कि धर्मनगरी वाराणसी में शिव के प्रमुख मंदिरों में मौजूद रहा कृत्तिवासेश्वर मंदिर को औरंगजेब ने तोड़कर मस्जिद बना दिया और इसका नाम आलमगीर मस्जिद रख दिया. हालांकि, इस मस्जिद को अब बिना गुम्बद वाली मस्जिद के नाम से भी जानते हैं.


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काशी में ज्ञानवापी के बाद अब कृत्तिवासेश्वर मंदिर को लेकर विवाद बढ़ता हुआ दिख रहा है. दरअसल,  विश्व वैदिक सनातन न्यास की तरफ से कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें मांग की गई है कि कृत्तिवासेश्वर मंदिर में विशाल मंदिर बनाने की इजाजत,गैर हिंदुओं के एंट्री पर रोक लगाई जाए. साथ ही इस कैंपस का मालिकाना हक दिया जाए.


अब 13 सितंबर को होगी सुनवाई
इस मामले में कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के मौजूद नहीं होने की वजह से अगली तारीख की सुनवाई 13 सितंबर को नियत किया गया है. विश्व वैदिक सनातन न्यास के राष्ट्रीय अध्यक्ष व याचिकाकर्ता संतोष सिंह ने बताया कि साल 1669 में मुगल शासक औरंगजेब जब वाराणसी आया था तो उसने सिर्फ काशी के आदिविशेष्वर मंदिर को ही नहीं तोड़ा था, बल्कि करीब 10 हजार छोटे बड़े मंदिरों को धाराशायी कर दिया था. इन्हीं मंदिरों में एक है हंसतीरथ स्थित कृतिवाशेष्वर मंदिर भी है.


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क्या 18 साल पहले हिन्दू संघटनों ने फवारा को बना दिया शिवलिंग?
हिन्दू पक्ष ने याचिका में दावा किया है कि औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़कर फुहारे वाली मस्जिद जिसे आलमगीर मस्जिद कहा जाता है, उसको तामीर करवाया. वहीं, दूसरी तरफ मुस्लिम पक्ष से जुड़े लोगों का कहना है कि साल  2006 से पहले शिवलिंग की जगह फवारा था जिस पर हिंदू पक्ष के लोगों ने शिव लिंग स्थापित कर दर्शन पूजन शुरू कर दिया.