Dargah Ajmer: एक हिंदू तंजीम ने ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर हिंदू मंदिर होने का दावा किया है. तंजीम ने 9 फरवरी को अजमेर में मार्च निकालने का ऐलान किया है. 'महाराणा प्रताप सेना' नाम की एक हंदू तंजीम का दावा है कि मशहूर सूफी ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह असल में एक हिंदू मंदिर है. ये दरगाह राजस्थान के अजमेर में मौजूद है. इस दावे से एक नया विवाद शुरू हो गया है. इस तंजीम के की तरफ से 9 फरवरी को मार्च निकालने के ऐलान के बाद इलाके में तनाव की स्थिति पैदा हो गई है.


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दरगाह पर मंदिर होने का दावा
आपको बता दें कि अजमेर की दरगाह मजहबी भाईचारा के तौर पर जानी जाती है. यह दरगाह पूरी दुनिया में मशहूर है. इस दरगाह में हर मजहब के लोग आते हैं. यह दरगाह सदियों से भारत के कल्चर के सबूत के तौर पर जानी जाती है. लेकिन महाराणा प्रताप सेना ने दरगाह की तारीखी हैसियत को चैलेंज करते हुए दावा किया है कि इसमें ऐसे सबूत हैं, जो यह बताते हैं कि यह जगह असल में एक हिंदू मंदिर थी.


इंतेजामिया की अपील
सेना का दावा है कि इसे बाद में बदल दिया गया. इस तंजीम के 9 फरवरी को मार्च निकालने के ऐलान ने मकामी लोगों के अंदर चिंता पैदा कर दी है. लोगों को डर है कि इस तरह के दावे से विरोध प्रदर्शन और इलाके में तनाव पैदा हो सकता है. इस मामले के बाद प्रशासन हालात पर गहरी नजर रखे हुए है. प्रशासन का कहना है कि प्रस्तावित मार्च के दौरान किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए पुलिस तैनात की गई है. इंतेमियान ने लोगों के अपील की है कि अराम से रहें और ऐसे किसी भी मामले में शामिल न हों जिससे भाईचारा खतरे में पड़ जाए.


दरगाह के मुतवल्लियों का रिएक्शन
इस मामले पर मजहबी और सियासी रहनुमाओं ने भी सब्र से काम लेने को कहा है. उन्होंने संवेदनशील मामले को बातचीत से हल करने की बात कही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अजमेर दरगाह के मुतवल्लियों ने हिंदू तंजीम के दावों को नकारते हुए कहा कि दरगाह सदियों से भाईचारे की मिसाल है.