Israel Palestine Conflict: हमास और इजराइल के बीच पिछले 17 दिनों से जंग जारी है. इस जंग में 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. इस बीच फिलिस्तीन के खिलाफ इजरायल की कार्रवाई के विरोध में 23 अक्टूबर की रात को हैदराबाद में एक विशाल जनसभा आयोजित  किया गया. जिसमें भारत सरकार से फिलिस्तीन के लोगों को समर्थन देने की गुजारिश की गई.


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ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के मुख्यालय दारुस्सलाम में आयोजित बैठक को मुख्तलिफ राजनीतिक और धार्मिक संगठनों के लीडर्स ने संबोधित किया. AIMIM चीफ और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवसी की अगुआई में बैठक हुई. जिसमें सर्वसम्मति से फिलिस्तीनियों पर इजरायल के अत्याचारों की निंदा की गई और इसके बाद एक प्रस्ताव पारित किया गया. प्रस्ताव में याद दिलाया गया कि 1974 में भारत फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन (PLO) को फिलिस्तीनी लोगों के एकमात्र और वैध प्रतिनिधि के रूप में मान्यता देने वाला पहला गैर-अरब राज्य बन गया. 1988 में भारत फिलिस्तीन राज्य को मान्यता देने वाले पहले मुल्कों में से एक बन गया था.


पारित प्रस्‍ताव में कहा गया है, “भारत गणराज्य को फिलिस्तीन के लोगों को समर्थन देने की विरासत का सम्मान करना जारी रखना चाहिए. हम भारत सरकार से गुजारिश करते हैं कि वह महात्मा गांधी की बात याद रखें, 'फिलिस्तीन फिलिस्तीनियों का है, जैसे इंग्लैंड अंग्रेजों का और फ्रांस फ्रांसीसियों का है. भारत हमेशा रंगभेद और उपनिवेशवाद के पीड़ितों के साथ खड़ा रहा है और एकजुटता से काम किया है, चाहे वह दक्षिण अफ्रीका में हो, इंडोनेशिया में हो, या फिलिस्तीन में हो. इसे इस इतिहास को नहीं छोड़ना चाहिए.”



जनसभा में फ़िलिस्तीनी लोगों के जरिए अपनी भूमि पर दूसरे मुल्क का कब्ज़ा ख़त्म करने के दशकों लंबे संघर्ष को अपना समर्थन देने का ऐलान किया. इसमें अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इजराइल पर लगाम लगाने का गुजारिश की. इस बीच ओवैसी ने फिलिस्तीन जिंदाबाद के नारे लगाएं. 


प्रस्‍ताव में कहा गया है, “इजरायल को 1992-93 के ओस्लो समझौते का सम्मान करने के अलावा, अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों का पालन करना चाहिए. इसे 1967 में अपने कब्जे से पहले गाजा पट्टी, वेस्ट बैंक, येरुशलम और सभी इलाकों पर अपना कब्जा खत्म करना होगा. इजरायल को एक स्वतंत्र और संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य के गठन को अब और नहीं रोकना चाहिए.” तेलंगाना के गृहमंत्री मोहम्मद महमूद अली, धार्मिक विद्वान मुफ्ती खलील अहमद और मुख्तलिफ मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने जनसभा को संबोधित किया. 


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