Waqf Amendment Bill: वक्फ बोर्ड अमेंडमेंट बिल को लेकर देशभर के मुससलमानों में केंद्र सरकार के खिलाफ नाराजगी है. पूरे मुल्क में इस बिल के खिलाफ मुस्लिम तंजीम विरोध कर रहे हैं. इसी को लेकर आज बिहार की राजाधनी में पटना में इमारत-ए-शरिया ने भी एक बहुत बड़े प्रोग्राम का आयोजन किया, जिसमें बिहार के अलावा झारखंड और ओडिशा के मुस्लिम धर्मगुरु और मु्स्लिम विद्वानों ने शिरकत की.


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पटना के बापू सभागार में आयोजित "वक्फ संपत्ति की सुरक्षा" के लिए एक दिवसीय कार्यशाला में काफी तादाद में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिस्सा लिया. इस दौरान मंच से खिताब करते हुए अमीर-ए-शरीयत अहमद वली फैसल रहमानी ने कहा कि यह विधेयक लॉ और ऑर्डर को खराब करेगा. उन्होंने कहा कि वक्फ के अधिकारों को संशोधन वाला यह बिल हर हाल समाप्त होना चाहिए. यह बिल समाज के लिए नहीं बल्कि कॉर्पोरेट घराने को फायदा पहुंचाने के लिए है. 



वली रहमानी की अगुआई में मुस्लिम धर्मगुरुओं ने इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी मुलाकात की. 


इस बिल के खिलाफ मुस्लिम समुदाय आंदोलन करने के लिए तैयार; वली रहमानी 
वली रहमानी ने कहा कि कुछ मामलों को जानबूझकर उदाहरण दिया जा रहा है, जो गलत है. फतुहा के गोविंदपुर का मामला भी उसी तरह का है, जिस पर जेपीसी की टीम ने जांच भी की थी. उन्होंने कृषि का का जिक्र करते हुए कहा कि देश में कृषि कानून भी लाया गया था लेकिन किसानों के आंदोलन के बाद उसे वापस लेना पड़ा. अगर हुकूमत चाहती है कि अल्पसंख्यक समाज भी इस बिल को लेकर सरकार का विरोध करें तो हम तैयार हैं.


जानें क्या है पूरा मामला?
बता दें, वक्फ अमेंडमेंट बिल 8 अगस्त को संसद में पेश किया गया था. इस विधेयक के खिलाफ विपक्षी सांसदों और मुसलमानों ने जमकर मुखालफत की, इसके बाद इसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संयुक्त संसदीय समिति यानी JPC के पास विचार के लिए भेजा दिया. बीजेपी के सीनियर नेता सांसद जगदंबिका पाल अगुआई वाली जेपीसी ने मुसलमानों और विद्वानों से इस पर अपनी राय मांगी है. वहीं, इस मामले पर जेपीसी ने अब तक 4 बैठकें की हैं.  हालांकि, अब जेपीसी की बैठकें अंतिम दौर में है. इसपर अब 18 से 20 सितंबर तक जेपीसी ने बैठक बुलाई है. इसी बैठक में तय होगा कि वक्फ (अमेंडमेंट) बिल लागू होगा या नहीं.