Jamiat Ulema E Hind Appeals To Muslim: जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शनिवार को मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील की है कि वे अपने पारिवारिक विवादों के समाधान के लिए शरिया न्याय व्यवस्था की मदद लें और ऐसे मामलों में सरकार को दखलअंदाजी करने का मौका नहीं दें. जमीयत के सद्र मौलाना अरशद मदनी ने 'इमारत शरिया के सम्मेलन' में कहा कि अगर पारिवारिक व्यवस्था ठीक हो जाए तो बहुत सी परेशानिया दूर हो सकती हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कुछ मामलों में इस्लामी न्याय व्यवस्था को लेकर लोगों की तरफ से उंगलियां उठती हैं, उस पर भी रोक लग जाएगी.


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शरिया न्याय व्यवस्था की मदद लें मुसलमान
जमीयत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से जारी प्रेस रिलीज के अनुसार, अरशद मदनी ने शरीयत के नियमों को इस्लाम का मज़बूत आधार करार देते हुए कहा कि "जब तक हम इन नियमों को अपने व्यावहारिक जीवन का हिस्सा नहीं बनाएंगे, एक आदर्श और स्वस्थ समाज की स्थापना नहीं हो सकती". उन्होंने मुस्लिम समुदाय से शरिया न्याय व्यवस्था पर ज़ोर देने की बात कही. इस मौके पर अरशद मदनी ने कहा कि मुसलमानों से अपील करते हैं कि वे अपने पारिवारिक विवादों के हल के लिए शरिया न्याय व्यवस्था से राब्ता करें और सरकार को मुसलमानों के पारिवारिक विवादों में दखलअंदाजी करने का मौका न दें.


 


मुसलमानों को धार्मिक नेतृत्व
जमीयत उलेमा-ए-हिंद को बनाए जाने का अहम मकसद मुसलमानों को धार्मिक नेतृत्व प्रदान करना है. जमीयत का विजन इस्लाम की रिवायात और इस्लाम की शिक्षा को बढ़ावा देना है. वक्त-वक्त पर जमीयत की तरफ से गरीबों की मदद की जाती रही है.  साथ ही जमीयत की ओर से यतीम बच्चों के लिए स्कॉरलशिप का भी मुनासिब  इंतेजाम किया गया है ताकि वो अपनी पढ़ाई जारी रख सकें. देश में आपसी भाईचारा और मुसलमानों को मजहबी कयादत देने के लिए बनाई गई तंजीम जमीयत उलेमा-ए-हिंद अक्सर सुर्खियों में रहती है.


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