Assam News: असम के सीएम हिमंत विश्व शर्मा ( Himanta Biswa Sarma ) अपने बयानों को लेकर हमेशा चर्चा में बने रहते हैं. वह हर रोज मुसलमानों के खिलाफ बयान देते हैं. असेंबली में मुसलामनों के खिलाफ नए-नए कानून पास कर मुस्लिम समुदाय में डर का माहौल बनाए रहते हैं. उनके बयानों से देश की सियासत भी गरमाई रहती है. हिमंता के बयान को लेकर कई मुस्लिम संगठनों समेत विपक्षी दलों ने कई बार आपत्ति भी जताई है.


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अब उनके खिलाफ देश के सबसे बड़े और प्रमुख मुस्लिम संगठन  जमीयत उलमेमा-ए-हिंद ( Jamiat Ulema-e-Hind ) ने उनके बयान पर आपत्ति जताई है. जमीयत ने बीजेपी नेता हिमंत विश्व शर्मा के ‘मियां मुस्लिम’ संबंधी बयान की निंदा करते हुए शनिवार को कहा, "चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ को इस "विभाजनकारी एवं संविधान विरोधी" टिप्पणी का खुद से संज्ञान लेना चाहिए."


असेंबली ने सीएम ने क्या कहा था?
उल्लेखनीय है कि सीएम शर्मा ने बीते मंगलवार को असेंबली में कहा था कि वह पक्षपात करेंगे और ‘मियां मुस्लिमों’ को असम में कब्जा नहीं करने देंगे. शर्मा नगांव में 14 साल की एक बच्ची से सामूहिक रेप और उसकी हत्या की घटना को लेकर राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति पर अपोजिशन पार्टियों के एडजर्नमेंट मोशन के संबंध में असेंबली में बोल रहे थे.


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जमीयत ने की सीएम के खिलाफ की ये मांग


जमीयत के नेशनल प्रेसिडेंट मौलाना महमूद मदनी ( Maulana Mahmood Madni ) ने एक बयान में कहा, "असम के सीएम का बयान न सिर्फ नामुनासिब हैं, बल्कि संवैधानिक और नैतिक सिद्धांतों के साथ धोखेबाज़ी हैं." मदनी ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (  CJI  D Y Chandrachud ), सेंट्रल होम मिनिस्टर अमित शाह ( Amit Shah ) और भाजपा चीफ जेपी नड्डा ( JP Nadda )  को एक लेटर भी भेजा है, जिसमें असम के सीएम के लगातार गैर-आईनी बयानों की लिस्ट अटैच्ड है और उनसे फौरन कार्रवाई की मांग की गई है."


जमीयत ने चीफ जस्टिस से की ये मांग 
जमीयत ने चीफ जस्टिस को इस पर खुद संज्ञान लेने का भी आग्रह किया है. मदनी ने यह दावा भी किया कि सीएम एक भाषाई और मजहबी माईनोरिटी को "मियां" कहकर अपमानित करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें सेकंड क्लास का नागरिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं.