Waqf Amendment Bill: वक्फ अमेंडमेट बिल  पर विचार कर रही संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentry Committe ) को आज यानी गुरुवार, 5 सितंबर को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में मौजूद वक्फ संपत्तियों से अवगत कराया गया, जिसमें रोड ट्रान्सपोर्ट और रेलवे मंत्रालयों से संबंधित जमीन पर मौजूद प्रोपर्टी शामिल हैं. इस बैठक में शहरी मामलों और रोड ट्रान्सपोर्ट डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी अनुराग जैन और रेलवे बोर्ड के मेंबर (Infrastructure) अनिल कुमार खंडेलवाल और इससे जुड़े मंत्रालयों के अफसरों ने प्रेजेंटेशन दिया.  


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अधिकारी नहीं दे पाए मेंबरों को जवाब 
शहरी मामलों के मंत्रालय के अफसरों ने दिल्ली शहर के कंस्ट्रक्शन के लिए साल 1911 में तत्कालीन ब्रिटिश सरकार द्वारा किए गये भूमि अधिग्रहण ( Land Acquisition ) की प्रक्रिया के बारे में कमेटी को जानकारी दी. संसदीय सूत्रों ने बताया कि मीटिंग के दौरान उस वक्त तीखी बहस हुई जब मिनिस्टरी ऑफ अर्बन अफेयर्स के अफसरों ने ब्रिटिश प्रशासन द्वारा अपनाई गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर मेबरों के सवालों का जवाब नहीं दे पाए.


मेंबर ने किया ये दावा 
बीजेपी ( Bhartiya Janta Party ) के सीनियर नेता व सांसद जगदंबिका पाल ( Jagdambika Pal ) की अगुआई वाली कमेटी में अपोजिशन पार्टी के एक मेंबर ने दावा किया, "कुछ सूचनाओं को दबाने की भी कोशिश की गई." संसदीय सूत्रों ने बताया कि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के मेंबर ए. राजा ने कहा कि 1913 में एक वक्फ कानून पारित किया गया था. लेकिन शहरी मामलों के मंत्रालय ने इसके बारे में प्रजेंटेशन में कोई जिक्र नहीं किया.


मंत्रालय के इस प्रेजेंटेशन का मेंबरों ने किया विरोध
मंत्रालय द्वारा प्रेजेंटेशन के मुताबिक, वक्फ बोर्ड ने 1970 और 1977 के बीच 138 प्रोपर्टी पर दावे किए, जिन्हें ब्रिटिश सरकार द्वारा नई दिल्ली के निर्माण के लिए अधिग्रहित किया गया था. वहीं, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के निर्माण के लिए टोटल  341 वर्ग किलोमीटर जमीन का अधिग्रहण किया गया और इसके बदले में लोगों को उचित मुआवजा दिया गया. इस दावे का कुछ मेंबरों ने विरोध किया. कमेटी के सदस्य चाहते थे कि सरकार यह पता लगाए कि क्या दिल्ली में प्रोपर्टी पर वक्फ बोर्ड का दावा 1954 के वक्फ एक्ट में निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन करने के बाद किया गया था.