Kerala News: केरल के कोझिकोड में बुजुर्ग फातिमा के घर में काफी खुशी का माहौल है, जिनके बेटे अब्दुल रहीम, जो सऊदी अरब में मौत की सजा पाए हुए हैं, माफी मिलने के बाद घर लौटने वाले हैं. उसकी मां के लिए 18 साल का इंतजार था, जिसकी आखिकार दुआ कबूल हो गई है.


कैसे हुई सऊदी से वापसी?


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यह वापसी एक बड़े पैमाने पर पैसा इकट्ठा करने के कैंपेन के जरिए से संभव हुई है, जिसमें 34 करोड़ रुपये जमा किए गए, जो सऊदी अरब की एक अदालत के आदेश पर दिए गए. अदालत ने फैसला सुनाया था कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो रहीम को मौत की सज़ा दी जाएगी. यह धनराशि अप्रैल में सौंप दी गई थी. सऊदी परिवार के जरिए धनराशि स्वीकार करने के बाद अदालत ने यह फैसला लिया है, जिससे उसकी रिहाई के लिए कानूनी कार्यवाही शुरू हो सकी.


रहीम की मां अपनी खुशी छिपा नहीं पा रही हैं और शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वह जल्द से जल्द अपने बेटे को देखना चाहती हैं. फातिमा ने कहा, "हालांकि उसने मुझे कॉल की है, लेकिन यह  काफी नहीं है, मैं अपने बेटे को देखने के लिए अब और इंतजार नहीं कर सकती और चाहती हूं कि वह जल्द से जल्द आ जाए." रहीम के भतीजे ने भी उत्साहित होकर बताया कि सऊदी अरब की अदालत ने रहीम के वकील को रविवार को मौजूद रहने को कहा है.


रहीम के बेटे ने दी अहम जानकारी


भतीजे ने कहा, "वकील ने हमें बताया है कि रविवार को हमें पता चलेगा कि रहीम को आखिरकार कब रिहा किया जाएगा, और रिहा होने के बाद उसे वापस घर ले जाया जाएगा, जिसका पूरा गांव इंतजार कर रहा है." भतीजे ने कहा, "उनकी रिहाई के आदेश आने के बाद अब हर मिनट घंटों जैसा लगता है."


क्या है पूरा मामला


ऑटो चलाने वाले रहीम ज़्यादा पैसे कमाने के लिए खाड़ी देशों की चला गया था. वह 2006 में सऊदी अरब पहुंच गया और वहां उसे एक 15 साल के शारीरिक रूप से विकलांग लड़के के निजी ड्राइवर-सह-देखभालकर्ता के रूप में नौकरी मिल गई, जिसे एक ऐसी बीमारी थी जिसमें वह अपने शरीर से जुड़े एक बाहरी उपकरण से सांस लेता था.


रहीम के मुताबिक, एक दिन जब वह गाड़ी चला रहा था, तो लड़के ने उसके साथ गलत बर्ताव किया. जब वह उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था, तो उसका हाथ गलती से बाहरी चिकित्सा उपकरण से छू गया, जो डिस्कनेक्ट हो गया और लड़के की मौत हो गई. सऊदी अरब की एक अदालत ने उन्हें हत्या के लिए सज़ा सुनाई और अपील अदालत ने 2022 में इस फ़ैसले को बरकरार रखा था. बाद में देश के सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फ़ैसले की पुष्टि की थी. फिर सऊदी परिवार के साथ कई बार विचार-विमर्श के बाद, वे खून के पैसे पर सहमत हो गए और अंततः रहीम की आजादी के दरवाजे खुल गए.