Maha Kumbh Muslim Entry Ban Demand: लोकसभा इलेक्शन में बीजेपी और कई दक्षिणपंथी संगठनों ने मुसलमानों के खिलाफ जहर बोया था. यह सिलसिला अभी भी जारी है. मुसलमानों को हिंदू त्योहारों में एंट्री करने पर बैन लगाया जा रहा है, और कभी-कभी ड्राइवरों को उनके आधार कार्ड की जांच के बाद ही हिंदू कथा सभाओं के बाहर गाड़ी चलाने की इजाजत दी जाती है. अब कुछ दक्षिणपंथी संगठन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इसी महीने शुरू हो रहे 'महाकुंभ' में मुसलमानों के एंट्री पर बैन लगाने की मांग कर रहे हैं. इस डिमांड के बाद विपक्षी नेताओं का इल्जाम है कि नए भारत में मुसलमानों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा है. 


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महाकुंभ में मुसलमानों की एंट्री पर बंट गए मुस्लिम धर्मगुरु
उधर, महाकुंभ में मुस्लिम समुदाय की भागीदारी को लेकर मुस्लिम धर्मगुरु एकमत नहीं हैं. महाकुंभ के आयोजन के इतिहास में यह पहली बार है कि इसे लेकर मुसलमान भी चर्चा के केंद्र में हैं. मुसलमानों को महाकुंभ में न जाने की सलाह देकर चर्चा में आए ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने बड़ा बयान दिया है इसके साथ ही उन्होंने 3 दिसंबर 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है. जिसमें आशंका जताई कि महाकुंभ में सैकड़ों मुसलमानों का धर्म परिवर्तन कराने की योजना है, इसलिए सरकार ऐसी योजनाओं को विफल करने के लिए कदम उठाए. 


महाकुंभ में मुसलमानों का एंट्री पर बैन की मांग
वहीं, रजवी ने पिछले साल नवंबर में अखाड़ा परिषद द्वारा महाकुंभ में मुसलमानों का एंट्री पर बैन करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि यह मांग अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है. हालांकि, अब सीएम को लिखे पत्र में उन्होंने दूसरा नजरिया रखा है. रजवी ने कहा कि उन्हें विश्वस्त सूत्रों से महाकुंभ में मुसलमान का धर्मांतरण करने की तैयारी की खबर मिली थी, लिहाजा एक जागरूक नागरिक के तौर पर उन्होंने मुख्यमंत्री को इस आशंका से अवगत कराया है. 


मुसलमानों को नहीं जाना चाहिए महाकुंभ
मुसलमानों को महाकुंभ में नहीं जाने की अपनी सलाह को सही ठहराते हुए रजवी ने कहा, ‘‘अखाड़ा परिषद और नागा संन्यासियों ने बैठक करके मुसलमानों पर महाकुंभ में दुकान लगाने पर पाबंदी लगाने की बात कही थी, इसलिए हमने मुसलमानों को किसी परेशानी से बचने के लिए महाकुंभ में नहीं जाने की सलाह दी थी.’’


जमीयत उलमा-ए-हिंद ने क्या कहा?
जमीयत उलमा-ए-हिंद (एएम) की उत्तर प्रदेश इकाई के कानूनी सलाहकार मौलाना काब रशीदी ने कहा कि शायद ऐसा पहली बार है जब महाकुंभ के आयोजन से पहले मुसलमान चर्चा की केंद्र में हैं. रशीदी ने कहा, ‘‘ऐसी बातें करना संविधान में दिए गए अधिकारों का हनन है, क्योंकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है लिहाजा महाकुंभ में मुसलमान को बैन करने की बात करना संविधान की आत्मा को कुचलने जैसा है.’’ 


ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड ने क्या कहा?
वहीं, ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, ‘‘अगर कोई मुसलमान अपने ज्ञानवर्धन के लिए महाकुंभ में जाता है तो उसमें कोई हर्ज नहीं है. इस्लाम मजहब इतना हल्का और कमजोर नहीं है कि कहीं पर जाकर खड़े होने या कोई मेला देखने या किसी मजहबी इबादतगाह को देखने से वह खतरे में पड़ जाएगा.’’ 


महाकुंभ में मुसलमानों का धर्मांतरण कराए जाने की मौलाना रजवी की आशंका के बारे में पूछे जाने पर अब्बास ने कहा, ‘‘अगर किसी की धार्मिक आस्था की नींव मजबूत है तो कोई भी व्यक्ति उसका धर्मांतरण नहीं कर सकता.’’ 


पूर्व मंत्री और बीजेपी नेता ने क्या कहा?
उत्तर प्रदेश हज कमेटी के अध्यक्ष और प्रदेश के पूर्व अल्पसंख्यक कल्याण राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘आपने देखा होगा कि मोहन भागवत जी का बयान आया था. उन्होंने कहा था कि कुछ लोग विवाद खड़ा करके नेता बनना चाहते हैं. इस तरह के कुछ लोग हर जगह होते हैं. चार भाई हैं तो चारों का मिजाज एक तरह का नहीं होता. इसे कोई रोक भी नहीं सकता. यह हमेशा होता रहा है.’’


रजा ने कहा, ‘‘मैं अनेक बार कुंभ में गया हूं और अनेक मुसलमान कुंभ में जाते हैं. मुस्लिम समाज के अनेक लोग महाकुंभ की व्यवस्था में लगते हैं. मुसलमानों को महाकुंभ से बाहर रखने की मांग करना सनातनी संस्कार नहीं हैय मुसलमानों के कुंभ में आने पर पाबंदी लगाने की मांग करने वालों को यह सोचना पड़ेगा.’


आधार कार्ड देखकर दिया जाएगा एंट्री
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने हाल ही में कहा था कि इस बार कुंभ में आधार कार्ड के आधार पर एंट्री दिया जाए ताकि कोई गैर सनातनी मेला क्षेत्र में दाखिल ना होने पाए. बाबा बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने भी महाकुंभ में मुसलमानों के एंट्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी.