Maharashtra News: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को दो महीने की जमानत दे दी है. मलिक को सेहत के आधार पर जमानत दी गई है. वह कई दीगर बीमारियों के अलावा क्रोनिक किडनी रोग से भी पीड़ित हैं. नवाब मलिक फरवरी 2022 से जेल में कैद हैं. वह 17 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे. फिलहाल उनका इलाज मुंबई के एक निजी अस्पताल में चल रहा है. 


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दरअसल, नवाब मलिक को ED द्वारा जांच किए जा रहे मामले में मेडिकल आधार पर बंबई हाईकोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद मलिक ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ती अनिरुद्ध बोस और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा, "नवाब मलिक किडनी की बीमारी और अन्य बीमारियों के कारण अस्पताल में हैं. हम मेडिकल शर्तों पर सख्ती से आदेश पारित करते हैं." 


आपको बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मलिक को फरवरी 2022 में यह इल्जाम लगाते हुए गिरफ्तार किया था कि उन्होंने 1999-2006 के बीच दाऊद इब्राहिम की दिवंगत बहन हसीना पारकर की मदद से कुर्ला में एक संपत्ति हड़प ली थी. ED ने पहले इल्जाम लगाया था कि चूंकि पार्कर दाऊद के अवैध कारोबार को संभालता थी. इसलिए इस पैसे का इस्तेमाल आतंकी फंडिंग के लिए किया गया था.


पूर्व मंत्री मलिक के खिलाफ ED का मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा नामित अंतराष्ट्रीय आतंकवादी और 1993 के मुंबई सिलसिलेवार बम विस्फोटों के मुख्य आरोपी दाऊद और उसके सहयोगियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) के तहत दर्ज की गई एफआईआर पर आधारित है.  


गौरतलब है कि जब मुंबई के आर्यन का मामला सुर्खियों में था तो नवाब मलिक (Nawab Malik) महाराष्ट्र के मंत्री थे. यह वो दौर था जब समीर वानखेड़े (Sameer Wankhede) मुंबई जोन के NCB के डायरेक्टर पद पर तैनात थे. जब क्रूज शिप में कथित ड्रग्स पार्टी के मामले में आर्यन खान को एनसीबी ने शिकंजे में लिया तो नवाब मलिक ने वानखेड़े के खिलाफ मोर्चा ही खोल दिया था.


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