बिहार के मुजफ्फरपुर से ताल्लुक रखने वाले स्वतंत्रता सेनानी मौलाना मंज़ूर अहसन एजाज़ी ने मुल्क की आजादी के लिए 13 साल जेल में बिताए थे. उनका जन्म 1898 में मुजफ्फरपुर के शकरा पुलिस स्टेशन इलाके के दिहुली गांव में हुआ था. उनके पिता मौलवी हाफ़िज़ुद्दीन हुसैन और मां महफूजुन्निसा थीं. 15 साल की उम्र में ही उन्होंने 1913 में ब्रिटिश सरकार विरोधी आंदोलन में हिस्सा लिया था और बाद में छात्र संघ के नेता के तौर पर उन्होंने कई आंदोलनों का नेतृत्व किया. 


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वह 1917 में रोलेट एक्ट का उल्लंघन करने और स्वदेशी नील किसानों द्वारा आयोजित सत्याग्रह में हिस्सा लेने के लिए भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के एक अन्य तेज तर्रार नेता मौलवी हसरत मोहानी के साथ महात्मा गांधी के संदेश पर चंपारण पहुंच गए थे. मौलाना मंज़ूर अहसन एजाज़ी ने 1919 में एक पूर्णकालिक कार्यकर्ता के रूप में राष्ट्रीय आंदोलन के प्रचार में खुद को समर्पित करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. इस वक्त खिलाफत और असहयोग आंदोलन पूरे शबाब पर था.


बाल्कन युद्ध के सैनिकों के लिए धन एकट्ठा करने के कार्यक्रम में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए उनकी उस वक़्त  काफी सराहना की गई थी. ब्रिटिश विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेने की वजह से उन्हें पहली बार 1921 में और फिर 1930 में डेढ़-डेढ़ साल के लिए जेल में डाल दिया गया था. दांडी सत्याग्रह में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण उनके आंदोलनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया.


1941 में मौलाना मंज़ूर अहसन एजाज़ी ने व्यक्तिगत तौर पर  सत्याग्रह किया और एक बार फिर जेल भेज दिये गये. 1942 में उन्हें मुज़फ़्फ़रपुर स्थानीय बोर्ड का सद्र चुना गया. मौलाना मंज़ूर अहसन एजाज़ी ने अपनी कई कल्याणकारी गतिविधियों और कामों के तारीफ बटोरी थी. उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया. मौलाना मंज़ूर अहसन एजाज़ी ने ब्रिटिश विरोधी कार्यकर्ताओं को समर्थन देने और गांधीजी और उनके संघर्ष और सामाजिक सुधारों के संदेश को फैलाने के लिए बिहार में बड़े पैमाने पर दौरा किया. उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया और चार साल की अवधि के लिए जेल में डाल दिया गया.


इस तरह मौलाना एजाजी ने अलीपुर, अलीघर, बक्सर, मुजफ्फरपुर और अन्य जेलों में कुल 13 साल गुजारे थे. मुल्क को आजादी मिलने के बाद भारत में, उन्हें 1957 में बिहार के फ़तेहपुर से विधान सभा के सदस्य के रूप में चुना गया. उन्होंने 1962 तक विधायक के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभाईं. उन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता और सामाजिक सुधारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. मौलाना मंज़ूर अहसन एजाज़ी 17 मई, 1969 को अंतिम सांस लेने तक सार्वजनिक जीवन में बने रहे.


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