मुरादाबाद दंगों की रिपोर्ट पर मुस्लिम लीग ने खड़े किए सवाल, कहा- 2024 का चुनावी स्टंट है
साल 1980 में हुए सांप्रदायिक दंगों की रिपोर्ट पर मुस्लिम लीग के नेता ने कई सवाल खड़े किए हैं. उनका कहना है कि भाजपा इस रिपोर्ट के जरिए 2024 में फायदा उठाना चाहती है.
योगी सरकार की तरफ से पेश की गई 1980 मुरादाबाद दंगो की जांच रिपोर्ट के खिलाफ मुस्लिम लीग के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव डॉ शमीम अहमद के पुराने साथी कौसर हयात ने कई सवाल खड़े किए हैं. उनका इल्जाम है कि जांच रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है. इस रिपोर्ट को चंद लोगों ने कांग्रेस के इशारे पर कमरे में बैठकर बनाया है.
कौसर हयात का कहना है कि दंगे की जांच रिपोर्ट की कोई अहमियत नहीं है. अगर फिर भी सरकार इस पर कोई कार्यवाई करती है, तो वह अदालत तक जाएंगे. उनका इल्जाम है कि रिपोर्ट का तो किसी को पता ही नहीं था. भाजपा सरकार के कहने के बाद सबको पता चला था की जांच रिपोर्ट भी है. उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही इस जांच रिपोर्ट के खिलाफ हैं. अगर वो ईमानदार थे तो तभी रिपोर्ट को सामने रखना चाहिए था. तत्कालीन सरकार और प्रशासन की नियत खराब थी.
कौसर का कहना है कि मुरादाबाद दंगे साम्प्रदायिक नही थे. दंगों को साम्प्रदायिक तत्कालीन कांग्रेस सरकार और जिला प्रशासन ने बनाया. कौसर हयात ने रिपोर्ट को झूठा बताते हुए कहा है कि 3 महीने चले दंगे में 83 नहीं करीब 1500 लोग मारे गए थे. 700 तो अकेले ईदगाह में मारे गए. कौसर हयात ने योगी सरकार के देंगे की रिपोर्ट लाने को साल 2024 का चुनावी स्टंट बताया है.
कौसर हयात का कहना है कि बीजेपी अगर कांग्रेस की हर रिपोर्ट को गलत बताती है, तो फिर इस रिपोर्ट को सही क्यों बता रही है? कौसर हयात का कहना है कि डॉ शमीम पर दंगो में पुलिसकर्मी को मारने को लेकर इल्जाम लगा था. इसके बाद उन पर 302 का केस चला. लेकिन उसमें वह बरी हुए.
कौसर हयात ने कहा कि मुस्लिम लीग के नेता शमीम को दंगे का मास्टरमाइंड घोषित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जो आदमी 302 केस में भी बरी हुआ, वो कैसे दंगे का मास्टरमाइंड है? 84 के सिख दंगो के पीड़ितों को 5 बार मुआवजा मिल सकता है, तो 80 के दंगों वालों को एक बार भी मुआवजा क्यों नही मिल सकता?
कौसर हयात का कहना है कि हर साल की तरह 13 अगस्त को ज्ञापन देकर खुली इंक्वायरी कमीशन और खुली ज्यूडिशियल अदालत में जांच कर कार्यवाही की मांग करेंगे.
ख्याल रहे कि उत्तर प्रदेश के मुराबाद में साल 1980 में दंगे हुए थे. इन दंगों की जांच रिपोर्ट 34 साल बाद सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक दंगों में 83 लोग मारे गए और 112 लोग घायल हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक मुस्लिम लीग के दो नेताओं के राजनीतिक फायदे की वजह से दंगा हुआ है. इस दंगे के लिए कोई भी सरकारी अधिकारी, भाजपा, आरएसएस और कोई भी मुस्लिम जिम्मेदार नहीं है.