Assam Muslim News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और विश्व हिंदू परिषद ने शुक्रवार की नमाज के लिए दी जाने वाली दो घंटे की छुट्टी को समाप्त करने के असम विधानसभा के फैसले का सपोर्ट किया है. दोनों संगठनों ने असम सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की तारीफ भी की है. मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) के राष्ट्रीय संयोजक शाहिद सईद ने कहा कि, यह फैसला देश के धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील मूल्यों को मजबूत करने में एक अहम कदम है. उन्होंने साफ किया कि 'कर्म ही पूजा है' का सिद्धांत सभी मजबह के लोगों पर समान रूप से लागू होता है, और सरकारी कामकाज में धार्मिक आधार पर किसी भी तरह का विशेषाधिकार असमानता को बढ़ावा देता है.


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1937 में शुरू हुई थी व्यवस्था
1937 में मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्लाह की तरफ से शुरू किए गए इस काम का मकसद खास तौर से मुसलमानों को ध्यान में रखते हुए नमाज के लिए छुट्टी देना था. लेकिन, एमआरएम का कहना है कि अगर यह प्रथा इतनी ही जरूरी होती, तो इसे केवल असम की विधानसभा में ही नहीं, बल्कि पूरे देश की दूसरी विधानसभाओं और संसद (लोकसभा और राज्यसभा) में भी लागू किया गया होता. इसके उलट, कोई भी सरकार, यहां तक कि वो पार्टियां जो मुस्लिम वोट बैंक के समर्थन के लिए जानी जाती हैं, जैसे कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस आदि, ने भी इस तरह के नियम को अपनाने की जरूरत महसूस नहीं की. मंच के मुताबिक, यह फैसला देश के धर्मनिरपेक्ष और समानता के मूल्यों को बनाए रखने में भी मददगार होगा.


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मुख्यमंत्री की तारीफ
वहीं विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने असम में मुस्लिम शादी और तलाक के रजिस्ट्रेशन को जरूरी किए जाने के फैसले के लिए असम के मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए अन्य राज्यों से भी इसका अनुसरण करने की अपील की है. विहिप के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि असम में मुस्लिम शादी और तलाक का रजिस्ट्रेशन जरूरी किए जाने से राज्य की बेटियां को मुल्ले काजी और उनका शारीरिक उत्पीड़न करने वाले जिहादियों व समाज कंटकों से मुक्ति मिलेगी. इसके जरिए से बाल विवाह और काजी सिस्टम खत्म होने पर महिला अत्याचारों पर रोक और नारी सशक्तिकरण को बल मिलेगा. वास्तव में यदि बहुविवाह को भी अपराध घोषित कर दिया, तो असम की नारियां व सभ्य समाज आजीवन असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के ऋणी रहेगा.


असम का करें अनुसरण
उन्होंने असम के मुख्यमंत्री को धन्यवाद देते हुए अन्य राज्यों की सरकारों से भी असम सरकार का अनुसरण करते हुए बाल विवाह, बहु विवाह, बहु संतान व हलाला जैसी नारी दोहनकारी कुप्रथाओं पर अंकुश लगा कर सभी नारियों को दत्तक, तलाक, भरण पोषण, संपत्ति में हिस्सा तथा काले बोरे से मुक्ति दिलाने का अनुरोध किया है. उन्होंने कहा कि ऐसा करने से बहु विवाह पर रोक लगाने, विवाहित महिलाओं के वैवाहिक घर में रहने, भरण पोषण आदि के अपने अधिकार का दावा करने तथा विधवाओं को अपने पति की मृत्यु के बाद उत्तराधिकार के अधिकार के साथ अन्य लाभ व विशेष अधिकारों के लिए दावा करने में भी सहायता मिलेगी. महिला सशक्तिकरण की दिशा में असम सरकार का यह निर्णय अभूतपूर्व व अनुकरणीय है.