Farooq Abdullah on Muslims: देश में कई जगह पर मस्जिदों और मजारों पर दावे किए जा रहे हैं. ऐसे में जम्मू व कश्मीर नेशनल प्रेसीडेंट डॉक्टर फारूक अब्दुल्लाह ने कहा है कि "कोई शक नहीं है कि मुसलमान डरे हुए हैं. मैं भारत सरकार से मांग करूंगा कि इसे बंद करें. 24 करोड़ मुसलमान समुद्र में नहीं फेंके जा सकते. उन्हे (सरकार) मुसलमानों को बराबर समझना चाहिए. हमारे संविधान में धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया गया है. उन्हें इसे याद रखना होगा. अगर वह संविधान को बर्बाद करते हैं, तो भारत कहां बचेगा?"


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कश्मीरी पंडितों के लिए खुला है दिल
जम्मू व कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने कहा कि "जब मैं मुख्यमंत्री था और आर्टिकल 370 था. मैंनें उन्हें (कश्मीरी पंडितों को) बसाने की कोशिश की, लेकिन उन दिनों हालात बहुत खराब थे. कश्मीरी पंडितों को यहां आने से किसने रोका है? यह उनका फैसला है कि जब वह आना चाहें तो आ जाएं. मेरा दिल उनके लिए खुला है." फारूक अब्दुल्लाह ने ये बयान ऐसे वक्त में दिया जब वह उमरा करके लौटे.


यह भी पढ़ें: कश्मीर की आजादी पर बोले फारूक अब्दुल्लाह; कहा- एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन


संभल जामा मस्जिद पर हिंसा
आपको बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल में मौजूद शाही जामा मस्जिद को लेकर हिंसा हुई. इस हिंसा में 4 लोगों की मौत हो गई है. हिंसा में कई पुलिस वाले जख्मी हो गए. हिंसा करने के लिए इल्जाम में 30 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. यह हिंसा तब शुरू हुई जब शाही जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए ASI टीम मौके पर पहुंची. सर्वे का आदेश अदालत ने दिया था. अदालत में याचिका लगाई गई थी कि शाही जामा मस्जिद हरिहर मंदिर है. 


अजमेर दरगाह पर विवाद
इसके कुछ दिन बाद राजस्थान के जयपुर में एक अदालत उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गई जिसमें दावा किया गया कि राजस्थान में मौजूद अजमेर दरगाह में मंदिर है. इस मामले पर हंगामा हुआ है. देश के कई नेताओं ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसके साथ अजमेर दरगाह कमेटी ने कहा है कि वह इस मामले पर नजर रखे हुए हैं. कमेटी के मुताबिक दरगाह हमेशा दरगाह ही रहेगी.