JPC on Waqf: वक्फ विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने बुधवार को कहा कि समिति ने मसौदा रिपोर्ट और संशोधित विधेयक को बहुमत से स्वीकार कर लिया. सांसदों को अपनी असहमति दर्ज कराने के लिए शाम चार बजे तक का वक्त दिया गया है. विपक्षी सांसदों ने इस कदम को अलोकतांत्रिक बताया और दावा किया कि उन्हें अंतिम रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपनी असहमति नोट तैयार करने के लिए बहुत कम वक्त दिया गया. शिवसेना (UBT) सांसद अरविंद सावंत ने कहा कि सभी विपक्षी सदस्य अपनी असहमति देंगे.


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दमनकारी चरित्र रहेंगे बरकरार
जगदंबिका पाल प्रस्तावित कानून का संशोधित संस्करण बृहस्पतिवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंप सकते हैं. समिति ने बीते सोमवार को हुई एक बैठक में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सदस्यों की तरफ से प्रस्तावित सभी संशोधनों को मान लिया था और विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज कर दिया था. समिति में शामिल विपक्षी सदस्यों ने वक्फ (संशोधन) विधेयक के सभी 44 प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा था और उन्होंने दावा किया था कि समिति की तरफ से प्रस्तावित कानून विधेयक के 'दमनकारी' चरित्र को बरकरार रखेगा. उन्होंने दावा किया कि मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश होती रहेगी.


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मजहबी इंसान कर सकता है वक्फ
संशोधित विधेयक में कहा गया है कि केवल कम से कम पांच साल तक इस्लाम का पालन करने वाला शख्स वक्फ घोषित कर सकता है, जो इस्लामी कानून के तहत धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए खास तौर से समर्पित संपत्तियों को संदर्भित करता है. समिति की तरफ से पारित एक संशोधन में कहा गया है कि ऐसे शख्स को यह दिखाना या प्रदर्शित करना चाहिए कि वह पांच साल से मजहब का पालन कर रहा है. विधेयक में मौजूदा कानून के तहत पंजीकृत हर एक वक्फ के लिए प्रस्तावित कानून के लागू होने से छह महीने की अवधि के भीतर अपनी वेबसाइट पर संपत्ति का विवरण घोषित करना अनिवार्य बना दिया गया है.


कब पेश किया गया बिल?
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजीजू की तरफ से लोकसभा में पेश किए जाने के बाद 8 अगस्त, 2024 को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजा गया था. विधेयक का मकसद वक्फ संपत्तियों को विनियमित और प्रबंधित करने से जुड़े मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए वक्फ अधिनियम, 1995 में संशोधन करना है.