Waqf News: वक्फ बोर्ड से जुड़े दो संशोधन विधेयकों पर चर्चा जारी है। इस दौरान बैठक में कई बार हंगामा हुआ. अब विपक्षी सांसदों ने जेपीसी प्रमुख और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं. विपक्षी सांसदों का कहना है कि जगदंबिका पाल एकतरफा फैसले ले रहे हैं. इस वजह से सभी सांसद जेपीसी से खुद को अलग कर सकते हैं.


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विपक्षी सांसद 4 नवंबर को इस मामले पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात करने वाले हैं. उन्होंने बिरला के नाम लिखे पत्र में यह दावा भी किया कि समिति की कार्यवाई में उनको अनसुना किया गया तथा ऐसे में वे इस समिति से खुद को अलग करने के लिए मजबूर हो सकते हैं. विपक्षी सदस्यों ने अपने इस पत्र में प्रस्तावित कानून के खिलाफ आपत्तियों समेत अपनी चिंताओं का जिक्र किया है.


विपक्ष से जुड़े सूत्रों का कहना था कि वे आज यानी 4 नवंबर को बिरला से मिलकर यह पत्र को सौंपेंगे. द्रमुक सांसद ए राजा, कांग्रेस के मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, एआईएमआईएम के असदुद्दीन ओवैसी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह और तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी सहित विपक्षी सदस्यों ने लोकसभा अध्यक्ष के नाम यह संयुक्त पत्र लिखा है. 


उन्होंने बीजेपी के अनुभवी सांसद पाल पर इल्जाम लगाया कि समिति के अध्यक्ष ने बैठकों की तारीखें तय करने और समिति के समक्ष किसे बुलाया जाए, यह तय करने में ‘‘एकतरफा फैसला’’ लिया है. उनका कहना है कि वे कभी-कभी समिति की तीन दिनों की लगातार बैठक बुला देते हैं.


उन्होंने कहा कि सांसदों के लिए बिना तैयारी के अपनी बात रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है. अपने संयुक्त पत्र में, विपक्षी सांसद बिड़ला से आग्रह करेंगे कि वह पाल समिति के सदस्यों के साथ औपचारिक परामर्श करने का निर्देश दें ताकि देश को भरोसा दिलाया जा सके कि समिति स्थापित संसदीय प्रक्रियाओं से विचलित हुए बिना और बिना किसी पूर्वाग्रह के तथा स्वतंत्र और निष्पक्ष तरीके से काम कर रही है. पत्र में कहा गया है, ‘‘हम विनम्रतापूर्वक निवेदन करते हैं कि हमें समिति से हमेशा के लिए अलग होने के लिए विवश किया जा सकता है. क्योंकि हमें अनसुना किया गया है.’’ 


विपक्षी सांसदों को नहीं दिया जा रहा है वक्त
विपक्षी सदस्यों के अनुसार, बिल की छानबीन करने वाली संसद की संयुक्त समिति एक ‘मिनी संसद’ की तरह है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावित कानून को उचित प्रक्रिया की अनदेखी करते हुए सरकार की मर्जी के मुताबिक पारित करने के लिए समिति को केवल ‘‘वेंटिलेटिंग चैंबर’’ के रूप में नहीं माना जाना चाहिए. उनके अनुसार, समिति के सदस्यों को उचित समय न देना ‘‘संवैधानिक धर्म और संसद पर क्रूर हमले’’ के अलावा और कुछ नहीं है.


जेपीसी चीफ पर लगा गंभीर इल्जाम
विपक्षी सांसदों ने भी विधेयक के खिलाफ अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है और दावा किया है कि सरकार का कदम 1995 और 2013 के पहले के कानूनों को कम करने की एक कोशिश है. उन्होंने इल्जाम लगाया कि बिल में मौजूदा अधिनियम में 100 से ज्यादा संशोधन का प्रस्ताव है जबकि सरकार का केवल 44 संशोधनों का दावा है. 


आज जमात-ए-इस्लामी हिंद समेत कई मुस्लिम संगठनों ने दी राय
जमात-ए-इस्लामी हिंद समेत कई मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि विधेयक पर अपनी राय रखने के लिए सोमवार को समिति के सामने उपस्थिति हुए. जमात-ए-इस्लामी हिंद ने संशोधनों का विरोध किया और ‘मुस्लिम वूमेन इंटेलेक्चुअल फोरम’, ‘विश्व शांति परिषद’ समेत कई अन्य समूहों ने संशोधनों का समर्थन किया. कई मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के लगातार विरोध के कारण समिति की कार्यवाही बाधित हुई है, जबकि बीजेपी सदस्यों ने उन पर जानबूझकर इसके काम को बाधित करने की कोशिश करने का इल्जाम लगाया है. पाल ने इस आरोप को खारिज कर दिया है कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को अपने विचार व्यक्त करने की अनुमति नहीं दी। उनका कहना था कि उन्होंने सुनिश्चित किया है कि हर किसी की बात को सुना जाए.