PM Modi Chadar: अजमेर दरगाह पर प्रधानमंत्री मोदी की चादर; नज़रे भी इनायत फरमा लेते तो अच्छा था!

इस वक़्त देश में जहाँ एक तरफ मस्जिदों- मजारों की नीचे मंदिर होने का दावा किया जा रहा हो. उनके अवशेष तलाशे जा रहे हो. `बटेंगे तो कटेंगे` जैसे खौफनाक नारे दिए जा रहे हों, ठीक उसी वक़्त प्रधानमंत्री ने अजमेर दरगाह में मनाए जा रहे उर्स के लिए चादर भेजी है.

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देश के मंदिरों और मजारों के नीचे मंदिरों के अवशेष तलाशे जाने के बीच उत्तर प्रदेश के संभल और बांदा समेत कई मस्जिदें निशाने पर हैं. वाराणासी के ज्ञानवापी, मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि- शाही ईदगाह और मध्यप्रदेश के धार की मस्जिद के बाद अब अजमेर शरीफ के दरगाह के शिव मंदिर होने का दावा ठोक दिया गया है.  कोर्ट ने इस दावे की अर्जी स्वीकार भी कर ली है. ये दावा विहिप ने किया है. इस दावे से पहली बार अजमेर दरगाह कमिटी को भाजपा सरकार से झटका लगा है. 

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वहीँ, दिल्ली में होने वाले विधान सभा चुनाव से पहले ' बटेंगे तो कटेंगे' के पोस्टर भी लग गए हैं. इससे पहले ये पोस्टर महराष्ट्र विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के उप- चुनाव में भी लगाया जा चुका है. इसकी अपार सफलता के बाद अब इसे दिल्ली में भी लगाया जा रहा है.. 

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 इसी बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज दिल्ली में हजरत निजामुद्दीन के दरगाह पर चादर भेज दिया है.. चादर शाम को ही जयपुर पहुँच गयी है. कल सुबह अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू इसे लेकर अजमेर जाएंगे.

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अजमेर दरगाह कमिटी के लोग हमेशा से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के नीतियों के समर्थक रहे हैं. ऐसा इसलिए है, क्यूंकि भाजपा और केंद्र सरकार ने हमेशा से मजार- पीर- फ़कीर वाले सूफिज़म का समर्थन किया और इसे बढ़ावा भी दिया है. भाजपा और संघ मानता है कि इस्लाम में सूफिज़म ही वो रास्ता है, जो कट्टर वहाबी इस्लाम के वैश्विक विस्तार को रोक सकता है, जो दुनियाभर के मुसलमानों से इस्लाम की मूल शिक्षाओं की तरफ लौटने की वकालत करता है. भाजपा ये भी मानती है कि  दुनियाभर के कथित इस्लामी आतंकवाद इस्लाम के इसी धारा की पैरवी करते हैं. 

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सूफिज़म से प्रेम

प्रधानमंत्री मोदी वर्षों से चली आ रही इस परम्परा और सूफिज़म के इसी प्रेम की वजह से हर साल मुस्तैदी से इन मजारों पर चादर भेजवाने का काम करते हैं. इस साल अजमेर दरगाह में प्रधानमंत्री द्वारा भेजे जाने वाले चादर का विश्व हिन्दू परिषद् ने खुलकर विरोध किया है. अजमेर दरगाह के हिन्दू मंदिर होने का दावा विश्व हिन्दू परिषद् ने ही किया है. इसलिये विहिप का मानना है कि ऐसे समय जब अजमेर दरगाह पर विवाद हो और कोर्ट में इसका मुकदमा लंबित हो, अगर प्रधान मंत्री वहां चादर भेजते हैं तो इससे हिन्दू पक्ष का दावा कमजोर होगा. प्रधानमंत्री को मजार पर चादर भेजेने से परहेज करना चाहिए. लेकिन प्रधानमंत्री ने विहिप के विरोध को दरकिनार करते हुए मजार पर चादर भेज दिया है. 

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मुल्क में भाईचारा और अमन-चैन बना रहे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अजमेर के ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह के लिए भेजी गई चादर को केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू शुक्रवार की सुबह निजामुद्दीन दरगाह लेकर पहुंचे थे, जहाँ दरगाह कमेटी के लोगों ने उनका इस्तकबाल किया.  निजामुद्दीन दरगाह पर हाजिरी लगाने के बाद संसदीय कार्य मंत्री और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वहां मौजूद पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "पीएम मोदी ने ख्वाजा गरीब नवाज के उर्स के लिए चादर भेजी है, और उसे ही लेकर आज हम निजामुद्दीन दरगाह आए हैं. यहां से इज़ाज़त लेकर अजमेर के लिए रवाना होंगे. मैंने दरगाह में सभी लोगों से मुलाकात की और देश की तरक्की और खुशहाली  के लिए दुआ मांगी है." मंत्री किरेन रिजिजू ने आगे कहा, "प्रधानमंत्री मोदी का पैगाम है कि मुल्क में भाईचारा और अमन-चैन बना रहे. यही पैगाम लेकर आज हम अजमेर के लिए रवाना हो रहे है.  यह देश में वर्षों से चली आ रही एक पुरानी परंपरा है, जिसके लिए हमलोग यहां आए हैं. पीएम मोदी द्वारा भेजी गई चादर को शनिवार को अजमेर के दरगाह में पेश किया जाएगा."

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मोदी की लंबी उम्र के लिए दुआ

वहीँ, भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय सद्र जमाल सिद्दीकी ने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका सम्मान' संदेश के साथ उनके द्वारा सौंपी गई चादर को लेकर आज निजामुद्दीन दरगाह आए हैं. शनिवार को इस चादर को अजमेर दरगाह पर पेश किया जाएगा." उन्होंने आगे कहा , "पीएम मोदी ने अजमेर दरगाह के लिए चादर भेजकर विश्व शांति की अपील की है. मुझे यकीन है कि पीएम मोदी की रहनुमाई में भारत विश्व का नेतृत्व करेगा.  इस वक़्त पूरी दुनिया में कत्लेआम मचा है, लेकिन भारत अमन के रास्ते पर चलेगा. साथ ही अजमेर दरगाह पर पीएम मोदी की लंबी उम्र के लिए दुआ की जाएगी."  जमाल सिद्दीकी ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, "जो लोग बहरूपिये हैं, वह कभी अजमेर शरीफ दरगाह के लिए चादर नहीं भेजेंगे. वह लोग ना तो ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर गए हैं, और ना ही कभी निजामुद्दीन दरगाह पर आए हैं, जिनका धर्म व्यापार हो, वह दूसरे की भावनाओं को क्या ही समझेंगे?"

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