AIMPLB on UCC: जबसे प्राधनमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की बात कही है तबसे इस पर बहस तेज हो गई है. मु्स्लिमानों की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इसे लागू करने का विरोध कर रहा है. बोर्ड ने बुधवार को कहा कि उसने समान नागरिक संहिता (UCC) पर अपनी आपत्तियां विधि आयोग को भेज दी हैं और मांग की है कि न केवल आदिवासियों बल्कि हर धार्मिक अल्पसंख्यक को इस तरह के कानून के दायरे से बाहर रखा जाए.


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मुसलमानें करें UCC का विरोध


बुधवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने UCC पर एक बैठक की. इसमें मुसलमानों से अपील की गई कि वह UCC का विरोध करें. बोर्ड की तरफ से कहा गया है कि "विरोध करने के लिए बस एक लिंक पर क्लिक करना होगा, जहां पर विरोध की लाइनें पहले से ही मौजूद हैं. बस अपनी मेल आईडी से उसे लॉ कमीशन को भेजना होगा."


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विरोध करना है जायज


कमीशन की तरफ से कहा गया है कि "यह बात हम पहले ही कर चुके हैं कि यूसीसी के प्रावधान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और शरीयत के कानून के तहत नहीं हैं. ऐसे में इसका विरोध जायज है. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत पर आधारित है इसलिए कोई भी मुसलमान उसमें किसी भी तरीके के बदलाव को मंजूर नहीं करेगा." 


आदिवासियों को दायरे से बाहर रखने की वकालत


ख्याल रहे कि विधि आयोग ने कई पक्षों और हितधारकों को UCC के खिलाफ अपनी आपत्तियां दर्ज कराने के लिए 14 जुलाई तक का समय दिया था. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड इस अवधि को 6 महीने के लिए चाह रहा था. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने एक मीटिंग की इसके बाद यह तय पाया गया कि न केवल आदिवासियों बल्कि हर धार्मिक अल्पसंख्यक को भी UCC के दायरे से बाहर रखा जाना चाहिए. इससे पहले संसदीय समिति के अध्यक्ष और भाजपा नेता सुशील मोदी ने पूर्वोत्तर के लोगों और आदिवासियों को समान नागरिक संहिता (UCC) के दायरे से बाहर रखने की वकालत की थी.


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