Sambhal: संभल की शाही जामा मस्जिद पर किए गए दावे को लेकर आज हाई कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान इलाहाबाद हाई कोर्ट ने निचली अदालत की सुनवाई पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही हिंदू पक्षकारों को भी नोटिस जारी किया गया है.


संभल मामले में सुनवाई


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इस मामले में सभी पक्षों को एक महीने के अंदर जवाब दाखिल करना होगा. अगली सुनवाई 5 मार्च को होनी है, इस बीच निचली अदालत में इस मामले को लेकर कोई सुनवाई नहीं होगी. दरअसल हिंदू पक्ष के दावे के खिलाफ शाही जामा मस्जिद की इंतजामियां कमेटी की तरफ से हाई कोर्ट में एक याचिका दायक की गई थी.


मुस्लिम पक्ष के वकील ने क्या कहा?


मुस्लिम पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील शकील अहमद वारी ने संवाददाताओं से कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने सभी निचली अदालतों को निर्देश दिया है कि वे अगले आदेश तक किसी भी पूजा स्थल के सर्वे की मांग करने वाले नए मुकदमों पर विचार न करें. हमने उक्त आदेश की एक प्रति अदालत में दाखिल की है, जिसने सुनवाई की अगली तारीख 5 मार्च तय की है."


हमारे पास हैं सभी सबूत


जब हिंदू पक्ष के इस दावे के बारे में बताया गया कि मस्जिद एक प्राचीन हरिहर मंदिर के ऊपर बनाई गई थी, तो वारी ने कहा कि इस मामले पर फैसला अदालत को करना है. उन्होंने कहा, "हम अदालत में साबित करेंगे कि यह हरिहर मंदिर नहीं, बल्कि जामा मस्जिद थी. हमारे पास सभी सबूत हैं."


कमेटी ने दायर की थी याचिका


यानी आसान भाषा में समझें तो इस पिटीशन के अस्तित्व पर सवाल उठाया था. आज इस मामले में सुनवाई थी, जिसमें कोर्ट ने सभी पक्षों को चार हफ्तों में जवाब दाखिल करने के लिए कहा है. कोर्ट के इस आदेश के बाद मुस्लिम पक्ष को फौरी राहत मिल गई है. इस मामले की सुनवाई आज हाईकोर्ट में स्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच ने की है.


पिछले साल 19 नवंबर से संभल में तनाव बढ़ गया था, जब शाही जामा मस्जिद का अदालत द्वारा आदेशित सर्वे शुरू हुआ था, जिसके बाद यह दावा किया गया था कि उस स्थान पर कभी हरिहर मंदिर हुआ करता था. 24 नवंबर को दूसरे सर्वे के दौरान हालाक हिंसक हो गए थे. इसके बाद हुए पथराव और आगजनी में चार लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए थे.