CAA लागू होने के बाद शाहीन बाग में कैसे हैं हालात, जानें अपडेट
Security in Shaheen Bagh: सोमवार को देश में नागरिकता संशोधन लगा दिया गया. इसके बाद दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में लोगों में डर का माहौल पैदा हो गया.
Security in Shaheen Bagh: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) पर केंद्र सरकार की अधिसूचना के बाद दक्षिण-पूर्व दिल्ली के शाहीन बाग इलाके के लोगों ने इसके नतीजों पर गहरी चिंता जताई है. इस बीच, CAA के कार्यान्वयन के खिलाफ सोमवार रात छात्रों के एक ग्रुप के विरोध प्रदर्शन के बाद, जामिया मिलिया इस्लामिया (JMI) के बाहर सहित शाहीन बाग इलाके में 300 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं.
2019 में हुआ था प्रदर्शन
आशंका की जड़ें बहुत गहरी हैं, जो 11 दिसंबर, 2019 को सीएए के पारित होने के जवाब में, 15 दिसंबर, 2019 को शाहीन बाग में विरोध प्रदर्शन की शुरुआत से उपजी हैं. बता दें कि CAA को लेकर विरोध 24 मार्च, 2020 तक जारी रहा और इसका नेतृत्व मुख्य रूप से महिलाओं ने किया, जिन्होंने शाहीन बाग में एक प्रमुख सड़क को प्रभावी ढंग से बंद कर दिया था. लंबे समय तक चले विरोध प्रदर्शन में JMI के छात्रों की भी भागीदारी देखी गई थी. राजधानी में फरवरी 2020 में सबसे हिंसक सांप्रदायिक दंगा देखा गया जो उत्तर-पूर्वी जिले के 11 पुलिस स्टेशनों में फैला था.
शाहीन बाग में तनाव
CAA नियमों की हालिया अधिसूचना ने शाहीन बाग के लोगों के बीच फिर से तनाव पैदा कर दिया है, जो अपने विरोध प्रदर्शनों और चिंताओं के प्रति सरकार की उपेक्षा के कारण निराश महसूस कर रहे हैं. क्षेत्र के निवासी यूसुफ ने भय और अनिश्चितता की प्रचलित भावना को व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि सरकार उन्हें किनारे करने की कोशिश कर रही है.
विदेशियों को नागरिकता
2019 में पारित CAA, 1955 के नागरिकता अधिनियम में संशोधन करता है, जिससे अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के प्रवासियों, खास तौर से हिंदू, सिख, जैन, पारसी, बौद्ध और ईसाई समुदायों के प्रवासियों के लिए भारतीय नागरिकता का त्वरित मार्ग सुगम हो सके. मूल देश में धार्मिक उत्पीड़न से भागकर 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले भारत में आए लोगों को नागरिकता दिए जाने का प्रावधान इसमें है.
अमित शाह का बयान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि CAA पूरी तरह से उन लोगों को नागरिकता देने के लिए है, जिन्होंने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में उत्पीड़न के कारण भारत में शरण ली है और इसका उद्देश्य किसी को भी उनकी भारतीय नागरिकता से वंचित करना नहीं है.