Waqf Board Bill: इन दिनों देश में वक्फ (संशोधन) विधेयक पर हंगामा मचा हुआ है. इस बीच शिया धर्म गुरु कल्बे जव्वाद इस मामले पर सरकार से नाराज हैं. शिया धर्मगुरु और मजलिस-उलेमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना सैयद कल्बे जवाद ने वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को लेकर केंद्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि सरकार को पहले इस मामले में मुसलमानों से मिलना चाहिए था. उन्होंने रविवार को कहा कि वह विधेयक के तथ्यों से लोगों को अवगत कराने के लिए "देशव्यापी अभियान शुरू करेंगे." ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य जवाद ने पत्रकारों से बातचीत में दावा किया कि केंद्र की भाजपा सरकार ने विधेयक का मसौदा तैयार करने से पहले हितधारकों से सलाह-मशविरा नहीं किया.


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वक्फ संपत्तियों पर कब्जा
एक बयान के मुताबिक, जवाद ने इल्जाम लगाया कि सरकार यह विधेयक इसलिए लाई है, ताकि वक्फ संपत्तियों पर कब्जा किया जा सके. उन्होंने विधेयक को "धर्मनिरपेक्ष अवधारणा" के खिलाफ बताते हुए केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की गुजारिश की है. शिया धर्मगुरु ने कहा कि वह सांसदों से मिलने के साथ-साथ वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध करने के लिए एक देशव्यापी अभियान शुरू करेंगे. इसके साथ वह सभी लोगों को इस विधेयक के तथ्यों से रूबरू कराएंगे. 



मुसलमानों का नुकसान
कल्बे जव्वाद ने कहा कि "वक्फ अधिनियम बनाते समय सरकार ने हमसे मिलने की कोशिश क्यों नहीं की. उन्हें मौलाना और उलेमा से बात करनी चाहिए थी. उन्होंने हमसे बात क्यों नहीं की? हमसे सलाह किए बिना उन्होंने इसे पेश कर दिया." उन्होंने आगे कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक लागू करने से "95 वक्फ खुद पर खुद खत्म हो जाएंगे और जो 5 रहेगें वो जिले के डीएम के अधीन रहेंगे." कल्बे जव्वाद का साफ कहना है कि "वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 मुसलमानों को नुकसान पहुंचाने का बहुत बड़ा षड़यंत्र है. हालांकि, हम इसके लिए सरकार से बात करेंगे." कल्बे जव्वाद का कहना है कि "इस मुद्दे के लिए हम खासतौर पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात करेंगे कि इस बिल को संसद में पास न होने दें. क्योंकि, इससे पूरे वक्फ की संपत्ति खत्म हो जाएगी."


22 अगस्त को होगी मीटिंग
केंद्र सरकार ने वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन के लिए 8 अगस्त को संसद में विधेयक पेश किया था, लेकिन इसे संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया गया. वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति की पहली बैठक अगले सप्ताह 22 अगस्त को होगी.


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