Azam Khan wife Tazeen fatima released from jail : समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान (SP leader Azam Khan ) की बीवी और पूर्व सांसद तजीन फातिमा (Tazeen fatima) को पिछले हफ्ते इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद बुधवार को रामपुर जिला जेल से उन्हें रिहा कर दिया गया. रामपुर अदालत द्वारा कसूरवार ठहराए जाने के बाद फातिमा पिछले साल 28 अक्टूबर से जेल में थीं.  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 24 मई को फर्जी जन्म प्रमाण पत्र (fake birth certificate case) मामले में आजम खान (SP leader Azam Khan), उनकी पत्नी तजीन फातिमा (Tazeen fatima) और बेटे अब्दुल्ला आजम खान को जमानत दे दी थी.  रामपुर की एक अदालत ने परिवार के तीनों सदस्यों को जालसाजी का कसूरवार ठहराया था.



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हालांकि, आजम खान और अब्दुल्ला आजम खान को अभी जेल से रिहा नहीं किया जाएगा. उन्हें अभी सलाखों के पीछे ही रहना होगा, क्योंकि उनके खिलाफ कई अन्य मामले भी चल रहे हैं. वहीँ, बुधवार को आजम खान को घर पर जबरन कब्ज़ा करने के एक मालमे में दोषी करार देते हुए अदालत ने सजा का ऐलान किया है. 


 


क्या है अब्दुल्ला आज़म का जन्म प्रमाण पत्र केस ? 


गौरतलब है कि अब्दुल्ला आज़म के जन्म प्रमाण पत्र से संबंधित जालसाजी के एक मामले में रामपुर सत्र न्यायालय ने उन्हें 7 साल की कैद की सजा सुनाई थी. 
ये मामला 3 जनवरी 2019 का है, जब आकाश सक्सेना, जो अब रामपुर से बीजेपी के विधायक हैं, ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी कि आजम खान और उनकी पत्नी ने अपने बेटे के लिए दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं. अदालत ने इस मामले में तीनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (मूल्यवान सुरक्षा की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के लिए जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के तौर पर इस्तेमाल करना) सहित विभिन्न धाराओं के तहत कसूरवार पाया था.


सजा के बाद से, रामपुर से सांसद चुने गए 10 बार के विधायक और सपा के कद्दावर नेता आजम खान सीतापुर जेल में बंद हैं, जबकि अब्दुल्ला आजम हरदोई जेल में हैं जबकि फातिमा रामपुर जेल में थीं. सहाफियों से बात करते हुए फातिमा ने कहा, " जुल्म की हार हुई और अदालत ने इन्साफ को जिंदा रखा है." पति आजम खान और बेटे अब्दुल्ला के बारे में पूछे जाने पर, फातिमा ने कहा, "हमें एक सुनियोजित साजिश के तहत कसूरवार ठहराया गया था, जिसमें पुलिस, सरकार और मुझे यहां तक ​​कि मीडिया से भी शिकायत है कि उसने मामले को नहीं उठाया." अपनी रिहाई को "इन्साफ की शुरुआत" बताते हुए फातिमा ने कहा कि वह समर्थकों को बताना चाहती हैं कि आखिरकार सच की जीत होगी.