Bilkis Bano: साल 2002 में गुजरात दंगों की पीड़िता बिल्कीस बानो के 11 दोषियों को छोड़े जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट कल अहम फैसला सुनाएगा. इन 11 दोषियों ने ही गुजरात दंगों के दौरान उनके परिवार के साभी लोगों का कल्त कर दिया था. इन दोषियों को गुजरात सरकार ने एक कानून के तहत रिहा कर दिया था. इस पर बिलकिस बानो ने अदालत का दरवाजा खटखटाया. आज इस पर सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुनाएगा. दोषियों को छूट दिए जाने के खिलाफ याचिका पर 11 दिन सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. 


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सुप्रीम कोर्ट ने मांगा जवाब
सुप्री कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए केंद्र और गुजरात सरकार को 16 अक्टूबर तक 11 दोषियों की रिहाई के ताल्लुक से रिकॉर्ड जमा करने का हुक्म दिया था. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? सुप्रीम कोर्ट ने केस की सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार से कहा था कि दोषियों को सजा में छूट देते हुए चयनात्मक नहीं होना चाहिए, बल्कि हर कैदी को समाज से जुड़ने का मौका दिया जाना चाहिए. 


इन लोगों ने दाखिल की याचिका
दोषियों को सजा में छूट दिए जाने को बिल्किस बानो, मर्कस्वादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की नेता सुभाषिनी अली, पत्रकार रेवती लाल और लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति वर्मा समेत कई लोगों ने जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी थी. इस मामले में महुआ मोइत्रा ने भी याचिका दाखिल की है.


क्या था मामला?
आपको बता दें कि गुजरात दंगों की पिड़िता बिल्किस बानो साल 2002 में महज 21 साल की थीं. वह उस वक्त 5 महीने की गर्भवती थीं. गुजरात दंगों के दौरान उनका सामूहिक बालात्कार किया गया. उनके परिवार के 7 लोगों को मार दिया गया. इसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी. इसके बाद बिल्किस बानो के 11 दोषियों को सजा हुई. लेकिन गुजरात सरकार की छूट नीति के तहत 11 दोषियों को रिहा कर दिया. लेकिन इस फैसले के अदालत में चुनौती दी गई है. आज इस पर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा.